भारत में 21.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं, जिनकी मजदूरी 150 रुपये प्रति दिन से कम है. ऐसी स्थितियों में जहां कई लोगों के लिए दो वक्त का भोजन जुटा पाना एक चुनौती है, वहीं शिक्षा किसी सपने से कम नहीं है. इसी बीच एक ऐसी तस्वीर वायरल हुई, जो बहुत कुछ बयां करती नजर आ रही है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, इस तस्वीर को तेलुगू डेली ने छापा है, साथ में आकाली चूपु यानी 'भूखी निगाहें' लिखा है. देखा जा सकता है कि एक बच्ची खाली कटोरा लेकर क्लासरूम में झांक रही है. तस्वीर को गुड़िमालकापुर के देवल झाम सिंह गवर्नेमेंट हाई स्कूल में लिया था.
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तस्वीर वायरल होने के बाद अब स्कूल ने बच्ची को एडमिशन दिया है. बच्ची का नाम दिव्या बताया जा रहा है. शुक्रवार को उसे स्कूल में एडमिशन मिल गया. पहले बच्ची स्कूल की स्टूडेंट नहीं थी. वो खाने के लिए रोज स्कूल आती थी. दिव्या के माता-पिता पास ही की झुग्गी में रहते हैं. उसके पिता कचरा उठाने का काम करते हैं, जबकि मां सफाईकर्मी है. स्कूल में जो मिड-डे मील बचता था, वो खाने के लिए दिव्या आती थी.
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एनजीओ एमवी फाउंडेशन के राष्ट्रीय संयोजक वेंकट रेड्डी ने फेसबुक पर इस तस्वीर को शेयर किया. एमवी फाउंडेशन बालिकाओं के अधिकारों के लिए काम करती है. तस्वीर शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “एक बच्ची को देश में शिक्षा और भोजन नहीं मिलना शर्म की बात है. “
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सोशल मीडिया पर तस्वीर पोस्ट करने के बाद वो अपने वॉलिंटियर के साथ स्कूल पहुंचे और बच्ची का उसी स्कूल में एडमिशन कराया. इसी के साथ वो बच्ची के माता-पिता से भी मिले. जब दिव्या पहले दिन स्कूल पहुंची तो उन्होंने फोटो भी क्लिक की. उन्होंने बताया कि पहले दिन स्कूल जाकर दिव्या के चेहरे पर अलग ही मुस्कान थी.
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