सांप काटने से लड़के की हुई थी मौत, अब 11 साल बाद जिंदा लौटा. तस्वीर: प्रतीकात्मक
बुलंदशहर:
फिल्मों और सीरियलों में तो आपने कई बार देखा होगा जिस इंसान को मरा हुआ समझकर पानी में फेंक दिया जाता है, वह दोबारा से जिंदा होकर लौट आता है. ऐसी ही एक सच्ची घटना उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सामने आई है. यहां सांप काटने के बाद एक लड़के को मरा हुआ समझकर नदी में बहा दिया गया था. इत्तेफाक देखिए कि यह लड़का एक सपेरा के हाथ लग गया. सपेरे ने उसके शरीर से सांप का जहर निकालकर उसे बचा लिया. अब 11 साल बाद वही लड़का दोबारा से अपने गांव में लौटकर आया है. लड़के को जिंदा देखकर परिवार के लोगों का जहां खुशी का ठिकाना नहीं है वहीं गांव के लोग दंग हैं.
मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2006 में बुलंदशहर के खुर्जा कोतवाली क्षेत्र के पिन्नीनगर में रहने वाले पदम सिंह के बेटे दीपक को सांप ने काट लिया था. उस वक्त दीपक की उम्र नौ साल थी. परिजनों ने दीपक का इलाज कराया पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इसके बाद दीपक को अवंतिका देवी घाट पर गंगा में बहा दिया गया था.
अब ग्यारह साल बाद वही दीपक सपेरा श्यामनाथ के साथ गांव में सांप का खेल दिखाने पहुंचा था. तभी दीपक के बड़े भाई राजू और ताऊ खेमा ने उसे पहचान लिया. वे दीपक ओर सपेरा श्यामनाथ को बुलाकर अपने घर ले गए. श्यामनाथ ने बताया कि 11 साल पहले उसे गंगा नदी के किनारे पर उसे दीपक मिला था. उसने उसके शरीर से सांप का जहर निकाला तो वह ठीक हो गया. इसके बाद उसने उस बच्चे को अपने साथ सांप के करतब दिखाने के का में लगा लिया.
घर वालों के अनुरोध पर सपरेा श्यामनाथ ने दीपक को उसके घरवालों को लौटा दिया. दीपक के घर में लौटने पर मां-पिता सबसे ज्यादा खुश हैं. इतने दिनों में दीपक बचपन की बातें भूल चुका है.
मालूम हो कि सांप काटने के मामलों में इस तरह की घटनाएं आम बात है. दरअसल, सांप के जहर के चलते इंसान की तत्काल मौत नहीं होती है. वह जहर के प्रभाव के चलते सुन्न हो जाता है. इसलिए सांप काटने के शिकार लोगों का कभी भी दाह संस्कार या दफनाया नहीं जाता है. कई ऐसे मामले हैं कि जिन लोगों को मृत समझ लिया जाता है, उनमें जहर का असर खत्म होने पर वह सामान्य हो जाते हैं.
मीडियो रिपोर्ट्स के मुताबिक साल 2006 में बुलंदशहर के खुर्जा कोतवाली क्षेत्र के पिन्नीनगर में रहने वाले पदम सिंह के बेटे दीपक को सांप ने काट लिया था. उस वक्त दीपक की उम्र नौ साल थी. परिजनों ने दीपक का इलाज कराया पर डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था. इसके बाद दीपक को अवंतिका देवी घाट पर गंगा में बहा दिया गया था.
अब ग्यारह साल बाद वही दीपक सपेरा श्यामनाथ के साथ गांव में सांप का खेल दिखाने पहुंचा था. तभी दीपक के बड़े भाई राजू और ताऊ खेमा ने उसे पहचान लिया. वे दीपक ओर सपेरा श्यामनाथ को बुलाकर अपने घर ले गए. श्यामनाथ ने बताया कि 11 साल पहले उसे गंगा नदी के किनारे पर उसे दीपक मिला था. उसने उसके शरीर से सांप का जहर निकाला तो वह ठीक हो गया. इसके बाद उसने उस बच्चे को अपने साथ सांप के करतब दिखाने के का में लगा लिया.
घर वालों के अनुरोध पर सपरेा श्यामनाथ ने दीपक को उसके घरवालों को लौटा दिया. दीपक के घर में लौटने पर मां-पिता सबसे ज्यादा खुश हैं. इतने दिनों में दीपक बचपन की बातें भूल चुका है.
मालूम हो कि सांप काटने के मामलों में इस तरह की घटनाएं आम बात है. दरअसल, सांप के जहर के चलते इंसान की तत्काल मौत नहीं होती है. वह जहर के प्रभाव के चलते सुन्न हो जाता है. इसलिए सांप काटने के शिकार लोगों का कभी भी दाह संस्कार या दफनाया नहीं जाता है. कई ऐसे मामले हैं कि जिन लोगों को मृत समझ लिया जाता है, उनमें जहर का असर खत्म होने पर वह सामान्य हो जाते हैं.
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