
मध्य प्रदेश के नीमच जिले के अठाना गांव के कृष्ण कुमार धाकड़ ने पत्नी के दहेज प्रताड़ना के आरोपों के ख़िलाफ़ राजस्थान के बारां जिले के अंता कस्बे में एक अनोखा विरोध प्रदर्शन शुरू किया है. उन्होंने अपनी ससुराल में '498ए टी कैफे' नाम से एक चाय की दुकान खोली है, जहां वे हथकड़ी पहनकर चाय बनाते हैं. दुकान के बाहर लगे होर्डिंग्स पर लिखा है "जब तक नहीं मिलता न्याय, तब तक उबलती रहेगी चाय."
2022 में छोड़कर चली गई पत्नी
भीलवाड़ा के रहने वाले संपत जो केके धाकड़ के साथी हैं बताते हैं केके धाकड़ और अंता की मीनाक्षी का विवाह 6 जुलाई 2018 को हुआ था. 2019 में दोनों ने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया और अठाना क्षेत्र में अपना कारोबार शुरू किया. उनका यह कार्य इतना सफल रहा कि उन्होंने कई बेरोजगार महिलाओं को भी रोजगार दिया, जिससे महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला. 8 अप्रैल 2021 को मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी उनके इस कार्य की सराहना की थी. लेकिन 2022 में उनकी जिंदगी में ऐसा मोड़ आया कि सब कुछ बर्बाद हो गया जब उनकी पत्नी उन्हें छोड़कर चली गईं और उन पर झूठे मुकदमे दर्ज करवा दिए. कृष्ण कुमार धाकड़ जो कभी यूपीएससी की तैयारी कर रहे थे और प्री-लिम्स भी क्लियर कर चुके थे, आज परिस्थितियों के चलते अपनी पढ़ाई जारी तक नहीं रख पाए.

घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के लगाए आरोप
कृष्ण कुमार का कहना है मेरी पत्नी ने अक्टूबर 2022 में मुझे छोड़कर मायके अंता जाने के बाद घरेलू हिंसा और दहेज प्रताड़ना के झूठे आरोपों के तहत आईपीसी की धारा 498ए और भरण-पोषण की धारा 125 के तहत मुकदमा दर्ज करवा दिया. इन झूठे मुकदमों से प्रताड़ित होकर मैंने यह अनोखा कदम उठाया है. मैंने अपनी चाय की दुकान का नाम '498ए टी कैफे' इसलिए रखा है ताकि लोग इस धारा के दुरुपयोग को समझ सकें.

कानून का दुरुपयोग कर पुरुषों को फंसाया जा रहा है
उन्होंने आगे कहा, मेरी दुकान के होर्डिंग पर 'आओ चाय पर करे चर्चा..125 में कितना देना पड़ेगा खर्चा' भी लिखा है, जो दिखाता है कि आज कैसे कानून का दुरुपयोग कर पुरुषों को फंसाया जा रहा है. पिछले 3 सालों से मैं झूठे मुकदमों में फंसकर राजस्थान के अंता जिले में न्याय के लिए दर-दर भटक रहा हूं. मेरी एक बूढ़ी मां है, जिसका मैं इकलौता सहारा हूं. पिता का पहले ही स्वर्गवास हो चुका है. सब कुछ बर्बाद होने के बाद मुझे टीन शेड में जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है. महिला संबंधित प्रकरण एक ऐसा प्रकरण है जहां मुझे मानसिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है. कई बार मैंने आत्महत्या करने का भी सोचा, लेकिन मां का ख्याल आ जाता है.
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