AK-47 जैसी खतरनाक गन दुनिया को देने वाले मिखाइल क्लैशनिकोव का जन्म 10 नवंबर 1919 में हुआ था.
नई दिल्ली:
AK-47 जैसी खतरनाक गन दुनिया को देने वाले मिखाइल क्लैशनिकोव का जन्म 10 नवंबर 1919 में हुआ था. वो रूसी जनरल के साथ-साथ अविष्कारक और नेवी इंजीनियर भी थे. एके 47 बनाने के पीछे की कहानी थोडी दिलचस्प है. दरअसल, मिखाइल काफी बीमार रहा करते थे. इलाज कराने के लिए एक दिन वो अस्पताल पहुंचे. उस वक्त कुछ सैनिक वहां खड़े थे, जो सोवियत हथियारों की बुराई कर रहे थे. जिसके बाद उन्हें आइडिया आया क्यों न नई गन बनाई जाए. जिसके बाद उन्होंने एके 47 बनाने का फैसला किया था. मिखाइल ने एके 47 के अलावा एकेएम, एके-74, एके-101, एके-103, एके-105, एके-12, आरपीके, पीके मशीन गन जैसे खतरनाक हथियार बनाए हैं. लेकिन जो सबसे ज्यादा चर्चा में आई वो थी एके-47. आइए जानते हैं इस खतरनाक गन की खासियत...
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* एके-47 का पूरा नाम ऑटोमैटिक क्लाशनिकोव 47 है. ऑटोमैटिक का मतलब स्वचालित है वहीं क्लाशनिकोव नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इसे मिखाइल क्लाशनिकोव ने बनाया था. ये बंदूक 1947 में बनाई गई थी इसलिए आखिरी में 47 लगा दिया गया.
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* ठंड में मोटे-मोटे ग्लव्स पहनकर बंदूक चलाना मुश्किल होता था. मिखाइल का बंदूक बनाने का मकसद था कि इस गन से सैनिक आसानी से ग्लव्स पहनकर भी चला सकें. लेकिन इस गन में इतनी सारी खूबियां थीं कि पूरी दुनिया में ये फेमस हो गई और सभी देश इस बंदूक का इस्तेमाल करने लगे.
पढ़ें- अमेरिकी बंदूक से भारतीय जमीन पर नापाक हरकतों को अंजाम देने की फिराक में पाक आतंकी
* एके-47 दो तरह की बंदूक में आई है. एक ऑटोमैटिक और एक सेमिऑटोमैटिक. ऑटोमैटिक का मतलब है कि एक बार दबाने से पूरी गोलियां निकल जाती हैं. वहीं सेमिऑटोमैटिक का मतलब है कि एक बार ट्रिगर दबाने पर एक ही गोली चलती है. ऑटोमैटिक गन से एक बार ट्रिगर दबाने पर एक सेकंड में 10 गोलियां चलती हैं.
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* मिखाइल के बहरे होने की वजह भी एक-47 थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि वो एक लाख बार एके-47 चला चुके हैं. उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उसकी वजह से वो बहरे हो गए थे.
* एके-47 का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान करता है. इस बंदूक को बनाने वाले मिखाइल ने कहा था- 'मुझे अपने आविष्कार पर गर्व है, लेकिन इस बात से दुखी हूं कि इसे आतंकी इस्तेमाल करते हैं.'
* आपको बता दें, आम लोगों के लिए ये गन गैरकानूनी है. अगर किसी आम आदमी के पास ये गन दिखती है तो इसके लिए कठोर नियम भी हैं. इस समय 10 करोड़ एके-47 दुनिया में हैं.
* एके-47 से कोई नौसिखिया भी आसानी से निशाना लगा सकता है क्योंकि इसकी रेंज 300 से 400 मीटर तक होती है और ये 3 फुट की गन सिर्फ 4 किलो की होती है.
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* एके-47 का पूरा नाम ऑटोमैटिक क्लाशनिकोव 47 है. ऑटोमैटिक का मतलब स्वचालित है वहीं क्लाशनिकोव नाम इसलिए दिया गया क्योंकि इसे मिखाइल क्लाशनिकोव ने बनाया था. ये बंदूक 1947 में बनाई गई थी इसलिए आखिरी में 47 लगा दिया गया.
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* ठंड में मोटे-मोटे ग्लव्स पहनकर बंदूक चलाना मुश्किल होता था. मिखाइल का बंदूक बनाने का मकसद था कि इस गन से सैनिक आसानी से ग्लव्स पहनकर भी चला सकें. लेकिन इस गन में इतनी सारी खूबियां थीं कि पूरी दुनिया में ये फेमस हो गई और सभी देश इस बंदूक का इस्तेमाल करने लगे.
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* एके-47 दो तरह की बंदूक में आई है. एक ऑटोमैटिक और एक सेमिऑटोमैटिक. ऑटोमैटिक का मतलब है कि एक बार दबाने से पूरी गोलियां निकल जाती हैं. वहीं सेमिऑटोमैटिक का मतलब है कि एक बार ट्रिगर दबाने पर एक ही गोली चलती है. ऑटोमैटिक गन से एक बार ट्रिगर दबाने पर एक सेकंड में 10 गोलियां चलती हैं.
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* मिखाइल के बहरे होने की वजह भी एक-47 थी. आपको जानकर हैरानी होगी कि वो एक लाख बार एके-47 चला चुके हैं. उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उसकी वजह से वो बहरे हो गए थे.
* एके-47 का सबसे ज्यादा इस्तेमाल अफगानिस्तान में आतंकी संगठन तालिबान करता है. इस बंदूक को बनाने वाले मिखाइल ने कहा था- 'मुझे अपने आविष्कार पर गर्व है, लेकिन इस बात से दुखी हूं कि इसे आतंकी इस्तेमाल करते हैं.'
* आपको बता दें, आम लोगों के लिए ये गन गैरकानूनी है. अगर किसी आम आदमी के पास ये गन दिखती है तो इसके लिए कठोर नियम भी हैं. इस समय 10 करोड़ एके-47 दुनिया में हैं.
* एके-47 से कोई नौसिखिया भी आसानी से निशाना लगा सकता है क्योंकि इसकी रेंज 300 से 400 मीटर तक होती है और ये 3 फुट की गन सिर्फ 4 किलो की होती है.
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