छुट्टियों और त्योहारों के दौरान बहुत ज्यादा भीड़भाड़ और ट्रेनों का लेट होना आम बात है. हालांकि, पूरे उत्तर भारत में कोहरे और दृश्यता की कमी के कारण सर्दियों में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाती है. कई ट्रेनें देरी से चल रही हैं या रद्द कर दी गई हैं. कानपुर के एक शख्स ने हाल ही में अपनी ट्रेन के नौ घंटे लेट होने के बाद हुई परेशानी को एक्स पर शेयर किया है. उन्होंने कहा कि अपनी कनेक्टिंग ट्रेन छूटने से बचने के लिए उनके पास कानपुर से झाँसी तक एक अंतरराज्यीय टैक्सी किराए पर लेने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं था. भले ही उनके पास एक कन्फर्म तत्काल टिकट था जिसे उन्होंने 1,500 रुपये में खरीदा था, लेकिन दुर्भाग्य से, उन्हें समय पर अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कैब यात्रा के लिए 4,500 रुपये खर्च करने पड़े.
यूजर ने बुधवार को एक्स पर लिखा, "जो ट्रेन मुझे दोपहर 1.15 बजे कानपुर से पकड़नी थी, वह 9 घंटे देरी से पहुंची. मुझे रात 8.15 बजे झाँसी में राजधानी पकड़नी थी. और मुझे (ट्रेन के) देर से आने के बारे में दोपहर 2 बजे पता चला. मेरे पास कोई दूसरा विकल्प नहीं है 4,500 रुपये में ओला को लेने के अलावा. और तत्काल टिकट 1,500 रुपये में खरीदा था. कुल 6,000 रुपये का नुकसान.''
The train that i have to take at 13:15 at Kanpur arrived 9 hours late. I had to catch Rajdhani at jhansi at 20:15. So i came to know about the late at 14:00. I have no other option other than taking ola for 4500 rupees. And tatkal ticket is 1500 total 6000 loss
— electron (@vinodepurate) December 27, 2023
कई यूजर्स ने ट्रेन की देरी को लेकर अपने अनुभव भी शेयर किए. एक यूजर ने कहा, “मैं दिल्ली से पश्चिम बंगाल (ट्रेन 16 घंटे लेट है) की तुलना में मेरी बुआ उससे पहले दिल्ली से न्यूयॉर्क पहुंच गईं.” दूसरे ने कहा, “मैं नागपुर-हैदराबाद ट्रेन संख्या 12724 तेलंगाना एक्सप्रेस-हैदराबाद एक्सप्रेस से यात्रा कर रहा हूं. ट्रेन सुबह 7.10 बजे आनी थी लेकिन दोपहर 3.30 बजे आई. मेरी रात की शिफ्ट रात 8 बजे है लेकिन ट्रेन 9 घंटे देरी से चल रही है, मेरे वेतन के नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है?”
इसी बीच एक यूजर ने कहा कि कन्फर्म टिकट होने के बावजूद उन्हें पूरी यात्रा के दौरान खड़ा रहना पड़ा. एक पोस्ट में, आभास कुमार श्रीवास्तव ने अपनी निर्धारित सीट तक पहुंचने के लिए भीड़ भरी राउरकेला इंटरसिटी ट्रेन से गुजरने की शुरुआती चुनौतियों के बारे में बताया. अपनी आरक्षित सीट पर पहुंचने पर, श्रीवास्तव ने देखा कि एक गर्भवती महिला उस पर बैठी है. सीट खाली करने का अनुरोध करने के बजाय, उन्होंने दो घंटे की यात्रा के दौरान ट्रेन के दरवाजे पर खड़े रहने का विकल्प चुना.
उन्होंने लिखा, “4 दिन पहले सीट रिसर्व की और कन्फर्म टिकट मिल गया. किसी तरह ट्रेन में घुसने के बाद ही मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी सीट नंबर 64 तक भी नहीं पहुंच सका. एक घंटे के बाद जब मैं अपनी सीट पर पहुंचा, तो मैंने देखा कि एक गर्भवती महिला उस पर बैठी है, इसलिए वहां से चला गया और दो घंटे तक गेट पर खड़ा रहा.. इतनी यादगार यात्रा और मुझे पूरे समय खड़े रहने के लिए एक कन्फर्म टिकट के लिए धन्यवाद."
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं