यह ख़बर 23 दिसंबर, 2013 को प्रकाशित हुई थी

टॉप 10 बयान, जिनसे 2013 में हुआ बवाल...

नई दिल्ली:

जुबान ज़रा-सी चली और विवादों ने सिर उठा लिया... अंत की ओर अग्रसर हो रहे वर्ष 2013 में भी हमेशा की तरह कई बार चर्चित हस्तियों के मुंह से निकले शब्दों ने उन्हें विवादों के घेरे में खड़ा कर दिया... चाहे वह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हों, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी हों या फिर गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे या नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष फारुक अब्दुल्ला, शब्दों ने मुसीबत पैदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी...

पेश हैं वर्ष 2013 के ऐसे टॉप 10 बयान, जिनके बाद बवाल हुए...

सितंबर माह में दोषी सांसदों संबंधी विवादास्पद अध्यादेश को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सार्वजनिक रूप से बकवास बताकर कूड़े में फेंक देने की बात कही, जिसे विपक्ष ने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री की अवज्ञा करार दिया... बाद में अध्यादेश तथा संबद्ध विधेयक को सरकार ने वापस ले लिया।

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी तथ्यात्मक भूलों की वजह से विवादों में घिरे... नवंबर में नरेंद्र मोदी राजस्थान के दूदू में एक जनसभा में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का नाम मोहनदास करमचंद गांधी के स्थान पर मोहनलाल करमचंद गांधी बोल गए।

इससे पहले, उन्होंने खेड़ा में भी एक संबोधन में कहा था कि श्यामाप्रसाद मुखर्जी एक क्रांतिकारी थे, वर्ष 1930 में उनका निधन हुआ... उनकी अंतिम इच्छा थी कि उनकी अस्थियां आजादी के बाद भारत वापस लाई जाएं, लेकिन कांग्रेस सरकार अस्थियां वापस नहीं लाई... उन्होंने कहा था, ''मैं 2003 में वह अस्थियां भारत वापस लेकर आया...'' दरअसल, इस दौरान वह श्यामाप्रसाद मुखर्जी और श्यामाजी कृष्ण वर्मा के बीच भ्रमित हो गए थे और जब उन्हें उनकी गलती के बारे में बताया गया तो उन्होंने स्पष्ट किया कि वह श्यामाजी कृष्ण वर्मा की बात कर रहे थे...

इससे पहले, जुलाई में वर्ष 2002 के गुजरात दंगों से जुड़े एक सवाल पर नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यदि कोई पिल्ला भी कार के पहिये के नीचे आ जाए तो उन्हें दुख होगा। सपा, माकपा, जदयू ने कहा कि मोदी ने मुसलमानों की तुलना 'पिल्ले' से की और उन्हें इस 'अपमानजनक' टिप्पणी के लिए माफी मांगनी चाहिए...

उधर, केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे जनवरी में भाजपा और आरएसएस पर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों का संचालन करने और 'हिन्दू आतंकवाद' को बढ़ावा देने का आरोप लगाकर उनके निशाने पर आ गए थे... मार्च में भी शिंदे ने राज्यसभा में बहस के दौरान महाराष्ट्र के भंडारा में हुए बलात्कार कांड की तीन नाबालिग पीड़ितों का नाम ले लिया और फिर आलोचनाओं से घिर गए...

जुलाई में कांग्रेस महासचिव शकील अहमद ने कहा कि गुजरात दंगों के कारण आतंकी संगठन आईएम बना... इस टिप्पणी को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर वोट बैंक की राजनीति के चलते साम्प्रदायिक कार्ड खेलने का आरोप लगाया...

नवंबर में सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा विवादों में घिरे, जब उन्होंने एक परिचर्चा में कहा था कि देश में सट्टेबाजी को वैधानिक दर्जा दिए जाने में कोई हानि नहीं है... इस संदर्भ में बातचीत में वह यह बयान दे बैठे कि 'अगर आप दुष्कर्म की घटनाओं को रोक नहीं सकते तो इनका आनंद उठाना चाहिए...' इस पर विवाद खड़ा हो गया... उनकी व्यापक आलोचना हुई और महिला आयोग ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया... बाद में उन्होंने माफी मांगी...

केन्द्रीय मंत्री फारुक अब्दुल्ला दिसंबर के पहले हफ्ते में यह कहकर विवादों में घिर गए कि महिला निजी सचिवों को रखना जोखिम का काम हो गया है, क्योंकि किसी ने अगर यौन शोषण की शिकायत कर दी तो जेल की हवा खानी पड़ सकती है... विभिन्न दलों के नेताओं और अलग-अलग संगठनों के अलावा उनके अपने पुत्र ने भी इस बयान की कड़ी आलोचना की...

मार्च में केंद्रीय मंत्री बेनीप्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव के बारे में कहा था कि वह (मुलायम सिंह यादव) कमीशन लेकर समर्थन (सरकार को) देते हैं... बेनीप्रसाद वर्मा के इस बयान से उठे बवाल के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने कड़ा रुख अपनाया और बेनी ने अपनी टिप्पणी पर खेद जताया...

16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार मामले में 14 सितंबर को दोषियों को मौत की सजा देने के अदालत के फैसले के बाद बचाव पक्ष के वकील एपी सिंह यह कहकर विवादों में घिर गए कि अगर उनकी बेटी के विवाह-पूर्व किसी से संबंध होते और रात को वह अपने पुरुष मित्र के साथ घूमती तो वह उसे जिंदा जला देते... दिल्ली बार काउंसिल, विभिन्न गैर-सरकारी संगठनों और लोगों ने उनकी कड़ी आलोचना की...

जनवरी में प्रख्यात लेखक आशीष नंदी की इस टिप्पणी से बवाल उठा था कि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग 'सर्वाधिक भ्रष्ट' हैं... इसकी हर ओर से आलोचना हुई...

इसी माह पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार की गुंडागर्दी चल रही है... इस पर तृणमूल कांग्रेस ने उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगा दिया...

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इसी साल पूर्व सेनाप्रमुख जनरल वीके सिंह के इस दावे ने खासा राजनीतिक भूचाल उठाया कि सेना जम्मू एवं कश्मीर के कुछ मंत्रियों को धन देती है... बाद में जनरल वीके सिंह ने कहा कि धन का उपयोग राज्य में सौहार्द और स्थिरता लाने के लिए किया गया और इसका दुरुपयोग नहीं हुआ...