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This Article is From Sep 29, 2017

'टोक्यो टू दिल्ली' बस 30 मिनट में, ये सपना भी होगा सच, स्पेसएक्स का 'BFR' करेगा यह कमाल

आज ज़माना स्पीड का है. लेकिन कितनी स्पीड, इसके सारे पैमाने ध्वस्त होते जा रहे हैं. वह दिन दूर नहीं जब दिल्ली से टोक्यो की दूरी महज 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी.

'टोक्यो टू दिल्ली' बस 30 मिनट में, ये सपना भी होगा सच, स्पेसएक्स का 'BFR' करेगा यह कमाल
स्पेसएक्स की योजना जल्द ही मंगल ग्रह पर दो कार्गो यान भेजने की है (फाइल फोटो)
एडिलेड: आज ज़माना स्पीड का है. लेकिन कितनी स्पीड, इसके सारे पैमाने ध्वस्त होते जा रहे हैं. हम अभी बुलेट ट्रेन के द्वारा 200, 400, 500 किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड के रिकॉर्ड बना रहे हैं. लेकिन जरा सोचो कि अगर हम दिल्ली से टोक्यो (5834 किलोमीटर) या टोक्यो से दिल्ली का सफर महज आधे घंटे में पूरा हो, एक बार आपके मुंह से जरूर निकलेगा, 'बाप रे बाप.'

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अंतरिक्ष की दुनिया में हो रहे नित नए अविष्कारों के चलते यह भी संभव होने जा रहा है. आविष्कारक इलॉन मस्क ने पांच वर्षों में मंगल ग्रह पर मालवाहक यान भेजने और आधे घंटे के भीतर पृथ्वी के मुख्य शहरों में लोगों को लाने ले जाने के लिए रॉकेट का इस्तेमाल करने की महत्वाकांक्षी योजना का खुलासा किया किया. स्पेसएक्स के संस्थापक ने कहा कि अन्तर्ग्रहीय परिवहन प्रणाली जिसे बीएफआर (Big F****** Rocket) नाम दिया गया है, उसके आकार को छोटा किया जाएगा ताकि वह कई तरह के काम कर सकें जिससे भविष्य में मंगल ग्रह के अभियानों में मदद मिलेगी.
 
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मस्क ने बताया कि उनकी कंपनी ने प्रणाली बनाने का काम शुरू कर दिया है. उन्होंने कहा, ‘मुझे काफी हद तक भरोसा है कि हम करीब पांच वर्षों में यान का निर्माण पूरा कर सकते हैं और उसका प्रक्षेपण कर सकते हैं.’ उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 तक कम से कम दो मालवाहक यान लाल ग्रह पर पहुंचेंगे जिनका मुख्य उद्देश्य पानी के स्रोत का पता लगाना होगा. उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी ने छह से नौ महीनों में शुरू होने वाले पहले यान के निर्माण के साथ प्रणाली का निर्माण शुरू कर दिया है.

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उन्होंने कहा, 'मैं काफी आत्मविश्वास महसूस करता हूं कि हम अपने प्रोजेक्ट को पूरा कर सकते हैं और लगभग पांच साल में लॉन्च कर सकते हैं.' उन्होंने बताया कि उनकी यह तकनीक पृथ्वी के प्रमुख शहरों की दूरी को खत्म करने का भी काम करेगी. उनका यह रॉकेट पृथ्वी के किसी भी शहर की दूरी को महज आधे घंटे में पूरा कर पाएगा. उनकी गणना के मुताबिक, इस तकनीक से बैंकॉक से दुबाई की यात्रा 27 मिनट में और टोक्यो से दिल्ली की दूरी महज 30 मिनट में पूरी की जा सकेगी. 

उन्होंने बताया, 'जब आप अपने वायुमंडल से बाहर निकलते हैं तो अंतरिक्ष का वातावरण बिल्कुल शांत मिलता है, वहां किसी भी तरह की कोई रुकावट नहीं होती. कोई मौसम नहीं होता, और आप आधे घंटे से भी कम समय में सबसे लंबी दूरी की जगहों पर पहुंच सकते हैं. अगर हम चंद्रमा और मंगल पर जाने के लिए इस चीज का निर्माण कर रहे हैं, तो पृथ्वी पर अन्य जगहों पर क्यों नहीं किया जाना चाहिए.'

एक सप्ताह तक चले अंतर्राष्ट्रीय एस्ट्रोनॉटिकल कांग्रेस में सरकारी और प्राइवेट सेक्टर की अंतरिक्ष एजेंसियों ने अपने-अपने प्रोजेक्ट्स को लोगों के सामने रखा. कुछ कंपनियों ने अगले कुछ दशकों में लोगों को चंद्रमा और मंगल ग्रह पर भेजने की अपनी योजनाओं का खुलासा किया.

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