
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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ऐसे अंगों को बदला जा सकेगा जो ठीक से काम नहीं कर पा रहे
इसका परीक्षण चूहों एवं सूअरों पर किया गया है
चोटिल ऊतकों, रक्त धमनियों और नसों के उपचार में मदद मिलेगी
अमेरिका की ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने इस नई तकनीक को विकसित किया है जिसे ‘टिशु नैनोट्रांस्फेक्शन’ (टीएनटी) के नाम से जाना जाता है. इसका परीक्षण चूहों एवं सूअरों पर किया गया है.
इस तकनीक की मदद से बुरी तरह से घायल उन पैरों में त्वचा कोशिकाओं को वैस्कुलर कोशिकाओं में बदला गया जिनमें रक्त प्रवाह बाधित हो गया था.
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एक सप्ताह के भीतर घायल पैर में सक्रिय रक्त कोशिकाएं दिखाई दीं और दूसरे सप्ताह में पैर ठीक हो गया. प्रयोगशाला परीक्षणों में इस तकनीक के माध्यम से जीवित शरीर में त्वचा कोशिकाओं को तंत्रिका कोशिकाओं में बदलकर ऐसे चूहे में इसका इस्तेमाल किया गया जिसे हाल में मस्तिष्क आघात हुआ था.
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी में सेंटर फॉर रीजनरेटिव मेडिसिन एंड सेल बेस्ड थेरैपीज के निदेशक चंदन सेन ने कहा, ‘हमारी इस अनूठी नैनोचिप तकनीक के माध्यम से चोटिल या ऐसे अंगों को बदला जा सकता है जो ठीक से काम नहीं कर पा रहे. हमने दिखाया है कि त्वचा एक उपजाऊ भूमि है जिस पर हम किसी भी ऐसे अंग के तत्वों को पैदा कर सकते हैं, जिनमें कमी आ रही है’ उन्होंने कहा, ‘इसकी कल्पना करना मुश्किल है लेकिन ऐसा संभव है.’ इस अनुसंधान के ब्यौरे को नेचर नैनोटेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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