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मिस्र के पिरामिड बनाने में इस्तेमाल की गई थी ये कमाल की तकनीक, लेटेस्ट रिपोर्ट में किया गया बड़ा खुलासा

अध्ययन में पाया गया है कि भारी पत्थरों को स्थानांतरित करने के लिए रैंप या लीवर नहीं, बल्कि हाइड्रोलिक लिफ्ट प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था.

मिस्र के पिरामिड बनाने में इस्तेमाल की गई थी ये कमाल की तकनीक, लेटेस्ट रिपोर्ट में किया गया बड़ा खुलासा
मिस्र के पिरामिड बनाने के लिए अपनाई गई थी जबरदस्त टेक्निक

दुनिया के सात अजूबों में शामिल मिस्र के पिरामिड का निर्माण कैसे हुआ यह पूरी दुनिया के लिए अभी भी एक रहस्य है. शुरुआत में दुनियाभर के शिक्षाविद, एडवेंचर प्रेमियों और कॉन्सपिरेसी थियोरिस्ट का मानना था कि दैवीय शक्तियों की मदद से इस अद्भुत संरचना का निर्माण किया गया था. बाद में रिसर्च और अध्ययन के आधार पर यह माना जाने लगा था कि पिरामिड के निर्माण के लिए भारी पत्थरों को स्थानांतरित करने के लिए परस्पर जुड़े रैंप और लीवर का इस्तेमाल किया गया था. हालांकि, लेटेस्ट अध्ययन में उस समय के मुताबिक अत्यधिक उत्तम तकनीक का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया जा रहा है. हालिया अध्ययन में पाया गया है कि, भारी पत्थरों को स्थानांतरित करने के लिए रैंप या लीवर नहीं, बल्कि हाइड्रोलिक लिफ्ट प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था.
 

हाइड्रोलिक लिफ्ट प्रणाली का इस्तेमाल

ऑनलाइन जर्नल पीएलओएस वन में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक, सक्कारा के जोसर के फेमस स्टेप पिरामिड के निर्माण में पानी से जुड़े एक उत्तम तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, जोसर के स्टेप पिरामिड के निर्माण में भारी पत्थरों और अन्य निर्माण सामग्रियों को स्थानांतरित करने के लिए हाइड्रोलिक लिफ्ट जैसे अत्यधिक उत्तम प्रणाली का इस्तेमाल किया गया था. बता दें कि 13,189 वर्ग मीटर के क्षेत्र को कवर करने वाला और 62.5 मीटर ऊंचा, 4,500 साल पुराना पिरामिड अपने समय की सबसे उल्लेखनीय संरचनाओं में से एक है. करीब 2680 ईसा पूर्व में निर्मित स्टेप पिरामिड का निर्माण तीसरे राजवंश के फिरौन जोसर के अंत्येष्टि स्थल के रूप में किया गया था, जिसके पीछे की तकनीक किसी पहेली से कम नहीं है.

पास की नहरों का इस्तेमाल

रिसर्च के मुताबिक, भारी पत्थरों को पावर लिफ्ट करने के लिए पास की नहरों का इस्तेमाल किया गया होगा. फ्रांस के सीईए पैलियोटेक्निक इंस्टीट्यूट के जेवियर लैंडरेउ के मुताबिक, स्टेप पिरामिड के निर्माण के लिए मिस्र वासियों ने भारी पत्थरों को पावर लिफ्ट करने के लिए आसपास की नहरों का उपयोग किया होगा. रिसर्च में प्रस्तावित विश्लेषण के मुताबिक, पानी के दो शाफ्टों के माध्यम से पिरामिड में पानी को निर्देशित किया गया होगा, जिससे बड़े पत्थरों को ले जाने वाले फ्लोट को ऊपर और नीचे करने में मदद मिली होगी.

शोधकर्ताओं ने रिसर्च रिपोट में लिखा, "प्राचीन मिस्रवासी अपनी अग्रणी हाइड्रोलिक इंजीनियरिंग के लिए प्रसिद्ध हैं जो सिंचाई के लिए नहरों और बड़े पैमाने पर पत्थरों के परिवहन के लिए नावों का उपयोग करते थे. यह शोध अन्वेषण का एक नया क्षेत्र खोलता है: फिरौन की विशाल संरचनाओं के निर्माण में हाइड्रोलिक शक्ति का उपयोग." इस अभूतपूर्व खोज के बावजूद शोधकर्ताओं का मानना है कि, अभी इस विषय पर और जांच की आवश्यकता है.

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