
स्वीडिश नागरिक नीलाक्षी एलिजाबेथ जोरेंडल 41 साल बाद अपनी मां से मिली हैं.
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तीन साल की उम्र में स्वीडिश दंपत्ति ने लिया था गोद
41 साल बाद भारत लौटी है यह महिला
मां से मिलकर हुई भावुक, इन दिनों बीमार है जन्म देने वाली मां
नीलाक्षी ने जब होश संभाला तो उसकी इच्छा हुई की वह जन्म देने वाली मां से मिले. पुणे की एक स्वंय सेवी संस्था की मदद से नीलाक्षी 41 साल बाद यवतमाल पहुंची और अपनी मां से मिल पाईं. यहां आकर नीलाक्षी को पता चला कि उसकी मां गंभीर बीमारियों से ग्रसित है और वह इन दिनों यवतमाल के अस्पताल में भर्ती हैं. स्वंय सेवी संस्था की अंजलि पवार ने बताया कि 41 साल बाद मां-बेटी की भेंट का पल भावुक करने वाला था. दोनों एक-दूसरे के गले लगकर रो रहे थे. ये भले ही खुशी के आंसू थे, लेकिन थमने का नाम नहीं ले रहे थे.
नीलाक्षी को जन्म देने वाले पिता खेतों में मजदूरी करते थे. उन्होंने 1973 में खुदकुशी कर ली थी. 1973 में ही ही जोरेंडल का जन्म पुणे के करीब केडगांव में पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन की पनाहगार में हुआ. मां ने नीलाक्षी को पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन की पनाहगार में छोड़ दिया और बाद में दूसरी शादी कर ली. पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन की पनाहगार से 1976 में जोरेंडल को एक स्वीडिश कपल ने गोद ले लिया था. अंजलि ने बताया कि नीलाक्षी अपनी मां की तलाश में 1990 से भारत आ रही थीं. इस दौरान उन्होंने छह बार भारत का दौरा किया.
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