फेसबुक पर आपकी पोस्ट बताती है कि आपके रिश्ते कितने सच्चे हैं

फेसबुक पर आपकी पोस्ट बताती है कि आपके रिश्ते कितने सच्चे हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर

वॉशिंगटन:

जो कपल अपने रिश्ते के बारे में फेसबुक पर खूब बढ़-चढ़कर बातें करते हैं, अपने पार्टनर के साथ खींची गई तस्वीरें पोस्ट करते हैं और अपनी फेसबुक वॉल पर अपने रिश्ते को लेकर अक्सर लिखते रहते हैं, वे लोग अपने रिश्ते को लेकर कमिटेड होते हैं और उनके साथ रहने की संभावना ज्यादा होती है। यह बात एक स्टडी में निकल कर आई है।

यूनिवर्सिटी ऑफ विस्कॉन्सिन मैडिसन में कम्यूनिकेशन आर्ट्स की असिस्टेंट प्रफेसर कैटालीन टोमा ने डेट कर रहे कपल्स का फेसबुक पर उनके रिश्ते को लेकर उनकी अप्रोच कैसी रहती है और उनके रिश्ते की क्या उम्र होती है, के संबंध में रिसर्च की और यह पाया।

स्टडी में शामिल होने वाले लोगों से उनके रिश्ते को लेकर तरह तरह के सवाल पूछे गए। यह भी पूछा गया कि वह अपने पार्टरनर को लेकर कैसा महसूस करते हैं। उन्होंने 6 महीने बाद इस बाबत फॉलो-अप किया ताकि यह पता चल सके कि वे लोग अब भी साथ हैं या नहीं।

नतीजों के मुताबिक, लोग किस तरह से अपने फेसबुक पर अपने बारे में लिखते हैं (कुछ खास फैक्टर्स), उससे लोगों की रिलेशनशिप कमिटमेंट के बारे में काफी हद तक पता चलता है जैसे कि फेसबुक पर  'in a relationship' लिस्ट में होना, अपने पार्टनर के साथ तस्वीरें शेयर करना, अपने पार्टनर की फेसबुक वॉल पर लिखना।

रिश्ते को लेकर खुलकर दावे, माने पॉजिटिव अप्रोच..

डॉक्टर टोमा ने बताया, 'पब्लिक में लोग अपने बारे में क्या दावे करते हैं, इससे इस बात पर काफी असर पड़ता है कि वह अपने बारे में क्या सोचते हैं। अब हमने यह भी पाया कि इन चीजों से यह भी पता चलता है कि वह अपने रिश्ते के बारे में क्या महसूस करते हैं।'

उन्होंने बताया, 'लोग अपने प्यार का ऐलान करते हैं, दोस्तों और परिवार के सामने कसमें खाते हैं, फोटो लेते हैं। ऑनलाइन किए गए दावे मनोवैज्ञानिक रूप से काफी असर डालते हैं।'

ज्यादा 'म्यूचुअल फ्रेंड्स' का होना नकारात्मक...

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इसके अलावा यह भी पाया गया कि जिन कपल्स के फेसबुक पर म्यूचुअल फ्रेंड्स ज्यादा होते हैं, वह इस बाबत नकारात्मक कारक साबित होता है। उन्होंने बताया, 'हमें लगता है कि म्यूचुअल फ्रेंड्स ज्यादा होना सोशल नेटवर्क का बड़ा होना है। इसमें वैकल्पिक रोमांटिक पार्टनर्स की संभावना बढ़ जाती है।' यह स्टडी साइबरसाइकॉलॉजी, बिहेवियर ऐंड सोशल नेटवर्किंग नामक जर्नल में प्रकाशित हुई है।