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This Article is From Feb 26, 2013

रेलमंत्री, कविता और हंगामा...

रेलमंत्री, कविता और हंगामा...
नई दिल्ली: रेल मंत्री पवन कुमार बंसल जब अपना रेल बजट भाषण तैयार कर रहे थे तो उन्हें शायद यह हर्गिज अंदाजा नहीं होगा कि वह जिस कविता की पंक्ति को पढ़ने जा रहे हैं उसमें जताई गई आशंका सही साबित होगी। उन्होंने रेल बजट पेश करते समय दुष्यंत की पंक्तियां पढ़ी, ‘हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं, कोशिश है कि सूरत बदलनी चाहिए।’ लेकिन इन पंक्तियां की आशंका लोकसभा में सही साबित हो गई क्योंकि बंसल विपक्ष के हंगामे के कारण अपना रेल भाषण पूरा नहीं कर सके।

बंसल ने रेल बजट के दौरान जिन पंक्तियों को अपनी प्रेरणा का स्रोत बताया वह क्रिस्टीन वैदर्ली की कविता ‘द सांग आफ द इंजन’ से ली गई थीं।

अंग्रेजी में लिखी गई इस कविता का अनुवाद कुछ इस प्रकार है : ‘जब आप रेल में सफर करते हैं, और रेल पहाड़ पर चढ़ती है, तो सिर्फ इंजन की आवाज सुनिए। जो पूरी इच्छाशक्ति के साथ आपको लेकर ऊपर चढ़ता है हालांकि यह बहुत धीरे-धीरे चलता है लेकिन यह एक छोटा सा गीत गाता है : मैं कर सकता हूं, मैं कर सकता हूं।’

इतना ही नहीं, उन्होंने अपने भाषण का समापन भी क्रिस्टीन वैदर्ली की इसी कविता की अंतिम पंक्तियों से किया। हालांकि विपक्ष के हंगामे के कारण अंतिम पंक्तियों को सुना नहीं जा सका।

यह अंतिम पंक्तियां इस प्रकार थीं : लेकिन बाद की यात्रा में... इंजन अभी भी गा रहा है।

अगर आप बेहद शांति से सुनें... आप यह छोटा सा गीत सुनेंगे.. मैंने सोचा था मैंने कर दिया.. मैंने कर दिया। और वह दौड़ पड़ता है।

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