लंदन:
कुछ एलोपैथिक दवाओं का दीर्घकालिक प्रयोग स्वास्थ्य के लिए हानिकारक माना जाता है। हाल ही में एक शोध में पता चला है कि गर्भावस्था के दौरान पैरासीटामोल का ज्यादा सेवन गर्भस्थ बालक शिशु के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। पैरासीटामोल का प्रयोग बुखार और दर्द के लिए होता है।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में नैदानिक शोधार्थी और अध्ययन के शीर्ष शोधकर्ता रोड मिचेल ने बताया, 'यह अध्ययन इस बात के मौजूदा सबूत देता है कि गर्भावस्था के दौरान पैरासीटामोल के दीर्घकालिक प्रयोग से बालक शिशु में प्रजनन संबंधी विकार हो सकते हैं।'
रोड ने बताया, 'हम सलाह देंगे कि गर्भवती महिलाओं को वर्तमान दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए कि वे दर्दनिवारक दवाओं की खुराक कम से कम बार और कम से कम मात्रा में लें।' शोध में एक चूहे में टेस्टोस्टेरोन निर्माण पर पैरासीटामोल के प्रभाव का परीक्षण किया गया। ये ग्राफ्ट इसलिए लगाए गए थे, ताकि पता चल सके कि वीर्यकोष कैसे विकसित होता है और गर्भावस्था के दौरान किस तरह काम करता है।
वीर्यकोष में बनने वाला टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। चूहों को या तो 24 घंटे और या सात दिनों तक पैरासीटामोल की खास दैनिक खुराक दी गई। शोधकर्ताओं ने पैरासीटामोल की आखिरी खुराक तक मानवीय ऊतक द्वारा निर्मित टेस्टोस्टेरोन की मात्रा का मापन किया।
उन्होंने पाया कि पैरासीटामोल के सेवन के 24 घंटों बाद तक टेस्टोस्टेरोन के निर्माण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने पाया कि सात दिन तक पैरासीटामोल के सेवन के बाद टेस्टोस्टेरोन में 45 फीसदी तक की कमी आई।
टीम ने कहा, 'किस कारण पैरासीटामोल का ऐसा प्रभाव है, यह जानने के लिए आगे और शोध करने की जरूरत है।' यह शोध 'साइंस ट्रांजेशनल मेडिसिन' जर्नल में प्रकाशित हुआ।
एडिनबर्ग विश्वविद्यालय में नैदानिक शोधार्थी और अध्ययन के शीर्ष शोधकर्ता रोड मिचेल ने बताया, 'यह अध्ययन इस बात के मौजूदा सबूत देता है कि गर्भावस्था के दौरान पैरासीटामोल के दीर्घकालिक प्रयोग से बालक शिशु में प्रजनन संबंधी विकार हो सकते हैं।'
रोड ने बताया, 'हम सलाह देंगे कि गर्भवती महिलाओं को वर्तमान दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए कि वे दर्दनिवारक दवाओं की खुराक कम से कम बार और कम से कम मात्रा में लें।' शोध में एक चूहे में टेस्टोस्टेरोन निर्माण पर पैरासीटामोल के प्रभाव का परीक्षण किया गया। ये ग्राफ्ट इसलिए लगाए गए थे, ताकि पता चल सके कि वीर्यकोष कैसे विकसित होता है और गर्भावस्था के दौरान किस तरह काम करता है।
वीर्यकोष में बनने वाला टेस्टोस्टेरोन पुरुषों के दीर्घकालिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है। चूहों को या तो 24 घंटे और या सात दिनों तक पैरासीटामोल की खास दैनिक खुराक दी गई। शोधकर्ताओं ने पैरासीटामोल की आखिरी खुराक तक मानवीय ऊतक द्वारा निर्मित टेस्टोस्टेरोन की मात्रा का मापन किया।
उन्होंने पाया कि पैरासीटामोल के सेवन के 24 घंटों बाद तक टेस्टोस्टेरोन के निर्माण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। उन्होंने पाया कि सात दिन तक पैरासीटामोल के सेवन के बाद टेस्टोस्टेरोन में 45 फीसदी तक की कमी आई।
टीम ने कहा, 'किस कारण पैरासीटामोल का ऐसा प्रभाव है, यह जानने के लिए आगे और शोध करने की जरूरत है।' यह शोध 'साइंस ट्रांजेशनल मेडिसिन' जर्नल में प्रकाशित हुआ।
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