लंदन:
रात की शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में गलत समय में सेक्स हॉर्मोन की अधिकता कैंसर का कारण बन सकती है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
हॉर्मोन के बदलाव के कारण नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को स्तन तथा प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को कैंसर के खतरे के बारे में पता था, लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं था।
डेली मेल की एक रपट के मुताबिक, स्पेन में बार्सिलोना के पोंप्यू फाब्रा युनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक, गलत समय पर इस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन जैसे सेक्स हॉर्मोन की अधिकता कैंसर का कारण हो सकती है।
शोध के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 75 तथा दिन की शिफ्ट में काम करने वाले 42 व्यक्तियों का चयन किया गया और उनके मूत्र में हॉर्मोन के स्तर की जांच की गई।
पत्रिका 'कैंसर एपिडेमियोलॉजी, बायोमार्कर एंड प्रीवेंशन' (सीईबीपी) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 'दिन की शिफ्ट में काम करने वालों की तुलना में नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में हमने प्रोजेस्टाजेंस तथा एंड्रोजेंस की अधिकता पाई, साथ ही एंड्रोजेन के निर्माण में विलंब भी देखा गया।'
नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में गलत समय जैसे सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक सेक्स हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन की अधिकता पाई गई, जबकि इसका सही समय सुबह छह बजे से सुबह 10 बजे तक है।
अध्ययन के मुताबिक, 'नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में अधिक तथा बेवक्त सेक्स हॉर्मोन का निर्माण हॉर्मोन से संबंधित कैंसर का कारण हो सकता है।'
हॉर्मोन के बदलाव के कारण नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को स्तन तथा प्रोस्टेट कैंसर का खतरा अधिक होता है। नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों को कैंसर के खतरे के बारे में पता था, लेकिन इसका कारण स्पष्ट नहीं था।
डेली मेल की एक रपट के मुताबिक, स्पेन में बार्सिलोना के पोंप्यू फाब्रा युनिवर्सिटी के अध्ययन के मुताबिक, गलत समय पर इस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन जैसे सेक्स हॉर्मोन की अधिकता कैंसर का कारण हो सकती है।
शोध के लिए नाइट शिफ्ट में काम करने वाले 75 तथा दिन की शिफ्ट में काम करने वाले 42 व्यक्तियों का चयन किया गया और उनके मूत्र में हॉर्मोन के स्तर की जांच की गई।
पत्रिका 'कैंसर एपिडेमियोलॉजी, बायोमार्कर एंड प्रीवेंशन' (सीईबीपी) में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, 'दिन की शिफ्ट में काम करने वालों की तुलना में नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में हमने प्रोजेस्टाजेंस तथा एंड्रोजेंस की अधिकता पाई, साथ ही एंड्रोजेन के निर्माण में विलंब भी देखा गया।'
नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में गलत समय जैसे सुबह 10 बजे से दोपहर दो बजे तक सेक्स हॉर्मोन जैसे टेस्टोस्टेरॉन की अधिकता पाई गई, जबकि इसका सही समय सुबह छह बजे से सुबह 10 बजे तक है।
अध्ययन के मुताबिक, 'नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों में अधिक तथा बेवक्त सेक्स हॉर्मोन का निर्माण हॉर्मोन से संबंधित कैंसर का कारण हो सकता है।'
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