मुजफ्फरनगर में हिंसा
मुजफ्फरनगर:
मुजफ्फरनगर हिंसा के बाद सिर पर जख्म का दर्द झेल रहीं 70 वर्षीय अख्तरी खातून यूसुफ से जब भी कोई मिलता है तो उनके चेहरे पर दंगों का डर साफ नजर आ जाता है।
शामली के लाक गांव में भीड़ ने सोमवार को अख्तरी पर हमला कर दिया था और उन्हें इलाज के लिए मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल लाया गया। वह मुश्किल से ही उठ और बोल पा रही हैं, लेकिन अपने गांव वापस जाने पर जोर दे रही हैं।
हैरानी की बात है कि ऐसे माहौल में भी अख्तरी को जिला अस्पताल से ज्यादा सुरक्षित अपना गांव नजर आता है, जिसके चारों ओर पुलिस और सेना के जवान तैनात हैं।
अख्तरी के साथ मौजूद शमसुद्दीन शकूरन ने कहा, कुछ तो इंतजाम करा दो वापस जाने का। उन्होंने कहा, गांव में बहुत लोग चले गए (मारे गए)। शमसुद्दीन के मुताबिक, हिंसा में कम से कम 10 से 11 लोग मारे जा चुके हैं।
इसी तरह का वाकया शामली के एक और गांव लक बावडी की खरन्निसा आस मोहम्मद के साथ हुआ और वह भी अपने गांव वापस जाना चाहती हैं। वह हिंसा में अपने तीन रिश्तेदारों को खो चुकी हैं।
शामली के लाक गांव में भीड़ ने सोमवार को अख्तरी पर हमला कर दिया था और उन्हें इलाज के लिए मुजफ्फरनगर जिला अस्पताल लाया गया। वह मुश्किल से ही उठ और बोल पा रही हैं, लेकिन अपने गांव वापस जाने पर जोर दे रही हैं।
हैरानी की बात है कि ऐसे माहौल में भी अख्तरी को जिला अस्पताल से ज्यादा सुरक्षित अपना गांव नजर आता है, जिसके चारों ओर पुलिस और सेना के जवान तैनात हैं।
अख्तरी के साथ मौजूद शमसुद्दीन शकूरन ने कहा, कुछ तो इंतजाम करा दो वापस जाने का। उन्होंने कहा, गांव में बहुत लोग चले गए (मारे गए)। शमसुद्दीन के मुताबिक, हिंसा में कम से कम 10 से 11 लोग मारे जा चुके हैं।
इसी तरह का वाकया शामली के एक और गांव लक बावडी की खरन्निसा आस मोहम्मद के साथ हुआ और वह भी अपने गांव वापस जाना चाहती हैं। वह हिंसा में अपने तीन रिश्तेदारों को खो चुकी हैं।
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