मुंबई:
दुनिया भर में धर्म के नाम पर हो रही हिंसा के बीच कुछ खबरें ऐसी भी आती हैं जो इंसान को काफी राहत पहुंचाती है. साथ ही आपके चेहरे पर एक मुस्कुराहट भी छोड़ जाती हैं. ऐसा ही कुछ जादू मुंबई के रमीज़ शेख़ की फेसबुक पोस्ट कर रही है जो उन्होंने 26 अगस्त को लिखी थी और इसे अभी तक 8000 से ज्यादा बार शेयर किया जा चुका है.
इस पोस्ट में रमीज़ ने एक ऑटो रिक्शा वाले से अपनी मुलाकात को बयां करते हुए लिखा है - 'जुम्मे की नमाज़ पढ़ने के लिए मैं जल्दी जल्दी दफ्तर से बाहर निकला और मस्जिद जाने के लिए मैंने ऑटो पकड़ा. जैसे ही मैं ऑटो में बैठा मुझे याद आया कि पर्स तो मैं दफ्तर में ही भूल गया. मैंने ऑटो वाले से दरख़्वास्त की कि वह मस्जिद में 15-20 मिनट मेरा इंतज़ार कर लें और नमाज़ पूरी होने के बाद मैं उन्हीं के साथ वापस चला आऊंगा. साथ ही मैं उनको किराए से ज्यादा पैसे दूंगा.
ऑटो वाले (जिसके ऑटो पर गणपति उत्सव का स्टीकर लगा था) ने मुझसे कहा - आप भगवान के काम के लिए जा रहे हो, आप टेंशन मत ले. मैं छोड़ देता हूं आपको लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर पाऊंगा. मुझे आगे जाना होगा.
मैंने उनका शुक्रिया अदा किया और ऑटो मैं बैठ गया (वरना मैं नमाज़ पर नहीं पहुंच पाता.)
जैसे ही मैं मस्जिद पहुंचा उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी. उन्होंने अपनी पॉकेट से पैसे निकाले और मुझे देने लगे ताकि मैं नमाज़ के बाद दफ्तर जा सकूं. वह मेरा इंतज़ार नहीं कर सकते थे, लेकिन वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मैं ऑफिस ठीक से पहुंच जाऊं. वह बड़े ही प्यार से मुझे कह रहे थे कि मैं शर्मिंदा महसूस न करूं...
मैं उनका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता...
मिलिए शुक्ला जी से (जिनकी तस्वीर है)...यह कुछ लोगों के लिए रूढ़िवादिता को तोडने वाले साबित हो सकते हैं...एक ऑटोवाला 'गणपति भक्त' जिसके 'माथे पर बड़ा सा तिलक लगा है' जो मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाता है ताकि एक दूसरे धर्म का इंसान शांति से अपने ईश्वर के आगे दुआ मांग सके...'
बाद में रमीज़ ने इस पोस्ट में एक अपडेट भी किया जिसके मुताबिक उन्होंने शुक्ला जी से पैसे नहीं लिए. साथ ही बाद में जब उन्होंने शुक्ला जी से नंबर लेकर उन्हें फोन कर धन्यवाद दिया तो उनका लहज़ा कुछ ऐसा था मानों उन्होंने जो किया वो कोई बड़ी बात नहीं थी. रमीज़ ने यह भी लिखा कि क्योंकि शुक्ला जी के पास स्मार्ट फोन नहीं है इसलिए वह इस पोस्ट पर आए कमेंट के प्रिंट आउट निकालकर उन्हें तोहफे में देंगे.
इस पोस्ट में रमीज़ ने एक ऑटो रिक्शा वाले से अपनी मुलाकात को बयां करते हुए लिखा है - 'जुम्मे की नमाज़ पढ़ने के लिए मैं जल्दी जल्दी दफ्तर से बाहर निकला और मस्जिद जाने के लिए मैंने ऑटो पकड़ा. जैसे ही मैं ऑटो में बैठा मुझे याद आया कि पर्स तो मैं दफ्तर में ही भूल गया. मैंने ऑटो वाले से दरख़्वास्त की कि वह मस्जिद में 15-20 मिनट मेरा इंतज़ार कर लें और नमाज़ पूरी होने के बाद मैं उन्हीं के साथ वापस चला आऊंगा. साथ ही मैं उनको किराए से ज्यादा पैसे दूंगा.
ऑटो वाले (जिसके ऑटो पर गणपति उत्सव का स्टीकर लगा था) ने मुझसे कहा - आप भगवान के काम के लिए जा रहे हो, आप टेंशन मत ले. मैं छोड़ देता हूं आपको लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर पाऊंगा. मुझे आगे जाना होगा.
मैंने उनका शुक्रिया अदा किया और ऑटो मैं बैठ गया (वरना मैं नमाज़ पर नहीं पहुंच पाता.)
जैसे ही मैं मस्जिद पहुंचा उन्होंने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी. उन्होंने अपनी पॉकेट से पैसे निकाले और मुझे देने लगे ताकि मैं नमाज़ के बाद दफ्तर जा सकूं. वह मेरा इंतज़ार नहीं कर सकते थे, लेकिन वह यह सुनिश्चित करना चाहते थे कि मैं ऑफिस ठीक से पहुंच जाऊं. वह बड़े ही प्यार से मुझे कह रहे थे कि मैं शर्मिंदा महसूस न करूं...
मैं उनका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता...
मिलिए शुक्ला जी से (जिनकी तस्वीर है)...यह कुछ लोगों के लिए रूढ़िवादिता को तोडने वाले साबित हो सकते हैं...एक ऑटोवाला 'गणपति भक्त' जिसके 'माथे पर बड़ा सा तिलक लगा है' जो मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाता है ताकि एक दूसरे धर्म का इंसान शांति से अपने ईश्वर के आगे दुआ मांग सके...'
बाद में रमीज़ ने इस पोस्ट में एक अपडेट भी किया जिसके मुताबिक उन्होंने शुक्ला जी से पैसे नहीं लिए. साथ ही बाद में जब उन्होंने शुक्ला जी से नंबर लेकर उन्हें फोन कर धन्यवाद दिया तो उनका लहज़ा कुछ ऐसा था मानों उन्होंने जो किया वो कोई बड़ी बात नहीं थी. रमीज़ ने यह भी लिखा कि क्योंकि शुक्ला जी के पास स्मार्ट फोन नहीं है इसलिए वह इस पोस्ट पर आए कमेंट के प्रिंट आउट निकालकर उन्हें तोहफे में देंगे.
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