इस मां ने चार साल के बेटे को अपना लीवर दे दिया
नई दिल्ली:
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के रामपुर गांव में रहने वाले एक गरीब मजदूर परिवार के चार साल के नन्हें बच्चे अश्विन को नई जिंदगी मिल गई है. बच्चे की मां ने अपना लीवर ट्रांसप्लांट के लिए दिया. राजधानी दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लीवर एंड बिलयारी सांइस में सफलतापूर्वक लीवर ट्रांसप्लांट किया गया.
डॉक्टर ने बताई उस बहादुर लड़की की कहानी जिसने लीवर देकर बचाई पापा की जान
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस बच्चे का मुफ्त इलाज करवाने का अनुरोध किया था. बच्चे के माता-पिता सुनीता साहू और राजपाल साहू गांव में मजदूरी करते हैं.
मंत्री नड्डा के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बच्चे के लीवर ट्रांसप्लांट के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि से 14 लाख रुपये तुरंत मंजूर कर अस्पताल को दे दिए गए.
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह कुछ महीने पहले जब कोरिया जिले के प्रवास पर थे, तो गरीब माता-पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए उनसे मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री ने संजीवनी कोष से बच्चे के शुरुआती चेक-अप के लिए तत्काल एक लाख 50 हजार रुपये मंजूर कर दिए थे.
दो महीने की उम्र में हार्ट ट्रांसप्लान्ट के बाद आई पहली मुस्कान ने जीते लाखों दिल
मुख्यमंत्री ने बच्चे के लीवर ट्रांसप्लांट में मदद के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को तुरंत चिट्ठी लिखी. साथ ही उन्होंने श्रममंत्री और बैकुण्ठपुर के विधायक भइयालाल राजवाड़े को बच्चे के इलाज के लिए आगे की कार्रवाई पूरी करने की जिम्मेदारी दी.
मंत्री राजवाड़े ने अपनी ओर से सक्रिय पहल करते हुए इस गरीब परिवार को दिल्ली में इलाज के लिए रहने की सुविधा दिलाई. सुनीता और राजपाल साहू अपने बच्चे के इलाज के लिए दिल्ली के वसंत कुंज में किराए के मकान में लगभग ढाई महीने से रह रहे हैं. 10 जुलाई को हुए सफल ऑपरेशन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह और श्रम मंत्री राजवाड़े ने खुशी जाहिर करते हुए बच्चे के स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना की है.
डॉक्टरों के अनुसार, लीवर ट्रांसप्लांट के बाद बच्चे की दवा वगैरह पर लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आएगा. श्रममंत्री राजवाड़े ने यह खर्च अपनी ओर से उठाने का आश्वासन दिया है.
Video: ट्रांसप्लांट ने बदल दी जिंदगी...
डॉक्टर ने बताई उस बहादुर लड़की की कहानी जिसने लीवर देकर बचाई पापा की जान
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को पत्र लिखकर इस बच्चे का मुफ्त इलाज करवाने का अनुरोध किया था. बच्चे के माता-पिता सुनीता साहू और राजपाल साहू गांव में मजदूरी करते हैं.
मंत्री नड्डा के निर्देश पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से बच्चे के लीवर ट्रांसप्लांट के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि से 14 लाख रुपये तुरंत मंजूर कर अस्पताल को दे दिए गए.
दरअसल, मुख्यमंत्री डॉक्टर रमन सिंह कुछ महीने पहले जब कोरिया जिले के प्रवास पर थे, तो गरीब माता-पिता ने अपने बच्चे की जान बचाने के लिए उनसे मुलाकात की थी. मुख्यमंत्री ने संजीवनी कोष से बच्चे के शुरुआती चेक-अप के लिए तत्काल एक लाख 50 हजार रुपये मंजूर कर दिए थे.
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मुख्यमंत्री ने बच्चे के लीवर ट्रांसप्लांट में मदद के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा को तुरंत चिट्ठी लिखी. साथ ही उन्होंने श्रममंत्री और बैकुण्ठपुर के विधायक भइयालाल राजवाड़े को बच्चे के इलाज के लिए आगे की कार्रवाई पूरी करने की जिम्मेदारी दी.
मंत्री राजवाड़े ने अपनी ओर से सक्रिय पहल करते हुए इस गरीब परिवार को दिल्ली में इलाज के लिए रहने की सुविधा दिलाई. सुनीता और राजपाल साहू अपने बच्चे के इलाज के लिए दिल्ली के वसंत कुंज में किराए के मकान में लगभग ढाई महीने से रह रहे हैं. 10 जुलाई को हुए सफल ऑपरेशन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह और श्रम मंत्री राजवाड़े ने खुशी जाहिर करते हुए बच्चे के स्वस्थ और सुखी जीवन की कामना की है.
डॉक्टरों के अनुसार, लीवर ट्रांसप्लांट के बाद बच्चे की दवा वगैरह पर लगभग 10 लाख रुपये का खर्च आएगा. श्रममंत्री राजवाड़े ने यह खर्च अपनी ओर से उठाने का आश्वासन दिया है.
Video: ट्रांसप्लांट ने बदल दी जिंदगी...
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