प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप कहा गया है, लेकिन फिर कुछ डॉक्टर ऐसे भी होते हैं जो ज्यादा पैसा कमाने के फेर में मरीजों को लूटने से भी बाज नहीं आते. कई बार तो मरीज डॉक्टरों की महंगी फीस नहीं चुका पाते हैं और इलाज न मिलने की वजह से दम तक तोड़ देते हैं. ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं जहां फीस के नाम पर अस्पतालों के कड़े नियमों और डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. यही वजह है कि आज गरीब से गरीब आदमी भी इलाज के लिए पैसों की थोड़ी बहुत बचत जरूर करता है ताकि वक्त पड़ने पर डॉक्टर की फीस चुकाई जा सके. इन सबके बीच एक ऐसा भी डॉक्टर है जो नि:स्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रहा है. खास बात यह है कि वह मात्र दो रुपये में लोगों का इलाज कर रहे हैं.
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जी हां, 67 साल के डॉक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन 1973 से दो रुपये की फीस लेकर चेन्नई के लेागों का इलाज कर रहे हैं. स्टेनले मेडीकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर थीरुवेंगडम ने बाद में फीस दो रुपये से बढ़ाकर पांच रुपये कर दी थी. इलाके में वीराराघवन इतने मशहूर हो गए कि आसपास के डॉक्टरों ने ही उनका विरोध शुरू कर दिया. डॉक्टर उन पर फीस बढ़ाने का दबाव डाल रहे थे. डॉक्टरों का कहना था कि उन्हें बतौर फीस कम से कम 100 रुपये लेने चाहिए.
इन सबसे से बचने का उन्होंने एक नायाब तरीका ढूंढ निकाला. अब उन्होंने फीस का मामला पूरी तरह अपने मरीजों पर छोड़ दिया है. यानी कि फीस क्या हो और कितनी हो इसका फैसला मरीज ही करते हैं. अब मरीज उन्हें फीस के रूप में पैसे या खाने पीने का सामना दे सकते हैं. मरीज कुछ दिए बिना भी अपना इलाज करा सकते हैं. अपनी इस सेवा के लिए उन्हें लोग दो रुपये वाले डॉक्टर के रूप में भी पुकारते हैं.
डॉक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन चेन्नई के इरुकांचेरी में सुबह 8 बजे से रात 10 के बजे तक मरीजों को देखते हैं. इसके बाद वह आधी रात तक वेश्यारपादी में भी मरीजों को देखने के लिए जाते हैं. उनका सपना है कि वह वेश्यारपादी की छुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए अस्पताल खोलकर जीवनभर वहां के लोगों की सेवा कर सकें. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर थीरुवेंगडम का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर बनने के लिए जो पढ़ाई की उसमें उन्हें पैसे नहीं खर्च पड़ने पड़े. पढ़ाई उन्होंने समाज की सेवा के लिए की है और इस वजह से वह लोगों से पैसे नहीं लेते हैं.
भई वाह, दुनिया को डॉक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन जैसे और लोगों की जरूरत है क्योंकि इनकी वजह से ही मानवता कायम है. डॉक्टर थीरुवेंगडम के जज्बे को हमारा सलाम.
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डॉक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन चेन्नई के इरुकांचेरी में सुबह 8 बजे से रात 10 के बजे तक मरीजों को देखते हैं. इसके बाद वह आधी रात तक वेश्यारपादी में भी मरीजों को देखने के लिए जाते हैं. उनका सपना है कि वह वेश्यारपादी की छुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए अस्पताल खोलकर जीवनभर वहां के लोगों की सेवा कर सकें. द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर थीरुवेंगडम का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर बनने के लिए जो पढ़ाई की उसमें उन्हें पैसे नहीं खर्च पड़ने पड़े. पढ़ाई उन्होंने समाज की सेवा के लिए की है और इस वजह से वह लोगों से पैसे नहीं लेते हैं.
भई वाह, दुनिया को डॉक्टर थीरुवेंगडम वीराराघवन जैसे और लोगों की जरूरत है क्योंकि इनकी वजह से ही मानवता कायम है. डॉक्टर थीरुवेंगडम के जज्बे को हमारा सलाम.
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