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This Article is From Feb 28, 2022

मिलिए 'शिवभक्त' दुर्गा पांडेय से, डेढ़ लाख से ज़्यादा बेल के पौधे लगाकर शिवभक्ति कर रहे हैं

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर तमाम भक्तगण पूजा-पाठ करते हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस पवित्र दिन पर श्रद्धालु व्रत-उपवास करते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं.

मिलिए 'शिवभक्त' दुर्गा पांडेय से, डेढ़ लाख से ज़्यादा बेल के पौधे लगाकर शिवभक्ति कर रहे हैं

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर तमाम भक्तगण पूजा-पाठ करते हैं. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इस पवित्र दिन पर श्रद्धालु व्रत-उपवास करते हैं और भगवान शिव और मां पार्वती से अपनी मनोकामनाएं मांगते हैं. यूं तो देश और दुनिया में कई लोग श्रद्धालु हैं, शिव-पार्वती भक्ति में लीन रहते हैं, मगर आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलवाने जा रहे हैं, जो अलग तरह से भगवान शिव और मां पार्वती की अराधना कर रहे हैं. इनका नाम दुर्गा प्रसाद पांडेय है. ये पर्यावरण प्रेमी हैं. पिछले 15 साल से ये देश भर में विशेषकर, दिल्ली एनसीआर में बेल के पौधे लगा रहे हैं. अबतक डेढ़ लाख से ज़्यादा पौधे लगा चुके हैं, जिसमें 1 लाख 18 हज़ार पौधे सिर्फ बेल के ही हैं.

गाजियाबाद के वसुंधरा इलाके में इनकी एक कुटिया है. वहीं इन्होंने बेल के पौधों की नर्सरी बना रखी है. यहीं पौधों को सींचते हैं और ज़रूरतमंद लोगों को देते हैं. इसके अलावा लोगों को बेल के पौधे लगाने के लिए प्रेरित भी करते हैं. शादी-विवाह, मुंडन, जन्मदिन के अवसर पर लोगों को ये बेल के पौधे देते हैं भी. दुर्गा प्रसाद पांडेय का लक्ष्य है कि आने वाले दिनों में लोगों को पर्वावरण के प्रति सजग रखा जाए.

बेल के पौधे के बारे में दुर्गा प्रसाद पांडेय बताते हैं कि ये कई मायनों में पर्यावरण के सही है. भगवान शिव को बेल के पत्ते बहुत ही ज़्यादा पसंद है. इस वजह से पूरी दुनिया भगवान की अराधना इसी के पत्ते के साथ करती है. यह लोगों को शांति प्रदान करने का काम करता है. आज भागदौड़ की ज़िंदगी में शांति बहुत ज़रूरी है. इसके फल के सेवन से पेट की समस्या बिल्कुल खत्म हो जाती है. कई बिमारियों को इसका फल नष्ट कर देता है. देखा जाए तो बेल का पेड़ वैज्ञानिक और अध्यात्मिक रूप से बहुत ही सही है. 

शिवभक्ति करते हैं दुर्गा प्रसाद पांडेय

दुर्गा प्रसाद पांडेय पिछले 1 साल से लगातार शिव कीर्तन कर रहे हैं. इससे लोगों को अध्यात्म की तरफ जोड़ रहे हैं. कीर्तन करने आने वाले लोगों को शिवभक्ति के अलावा पर्यावरण के बारे में भी बताते हैं. दुर्गा प्रसाद पांडेय बताते हैं कि आज के समय में प्रदूषण, रेडिएशन के कारण कई बिमारियां बढ़ रही हैं. ऐसे में पर्यावरण के ज़रिए हम इस धरती को हरा भरा रख सकते हैं. भक्ति का मतलब होता है, मानव कल्याण. अगर ईश्वर ने हमें जन्म दिया है तो प्रकृति को भी जन्म दिया है. ये दोनों एक दूसरे के पूरक हैं. ऐसे में हमारी कोशिश है कि हम पर्यावरण की रक्षा करें और पर्यावरण हमारी रक्षा करें.

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