विज्ञापन
This Article is From Nov 09, 2021

मिलिए संतरे बेचने वाले पद्मश्री हरेकला हजब्बा से, गरीबों के लिए मस्जिद में चलाते हैं स्कूल

किसी ने सच ही कहा है, इंसान दिल से ग़रीब या अमीर होता है, पैसों से नहीं. अभी हाल ही में कर्नाटक के 64 साल के फल विक्रेता हरेकला हजब्बा ने इसे साबित भी किया है. हरेकला हजब्बा करीब 10 साल से गरीब बच्चों के लिए स्कूल चलाते हैं.

मिलिए संतरे बेचने वाले पद्मश्री हरेकला हजब्बा से, गरीबों के लिए मस्जिद में चलाते हैं स्कूल

किसी ने सच ही कहा है, इंसान दिल से ग़रीब या अमीर होता है, पैसों से नहीं. अभी हाल ही में कर्नाटक के 64 साल के फल विक्रेता हरेकला हजब्बा (Harekala Hazaba) ने इसे साबित भी किया है. हरेकला हजब्बा करीब 10 साल से गरीब बच्चों के लिए स्कूल चलाते हैं. इस कारण उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सम्मानित भी किया है. मानव सेवा और शिक्षा में बेहतरीन कार्य करने के लिए हरेकला हजब्बा को पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. हरेकला हजब्बा संतरा बेचकर गरीब बच्चों को मुफ्त में शिक्षा दे रहे हैं. इस प्रयास के कारण उन्हें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया है. 

ट्वीट देखें

हरेकला हजब्बा ने साबित कर दिया कि शिक्षा का क्या महत्व है. बीबीसी को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि एक बार उनसे किसी विदेशी ग्राहक ने फल का रेट अंग्रेजी में पूछा था, जिसका जवाब वो नहीं दे पाए थे. यही कारण है कि वो अपने गांव के बच्चों को पढ़ाना चाहते हैं ताकि उन्हें ऐसी स्थिति का सामना ना करना पड़े.

हरेकला हजब्बा एक उदाहरण हैं. आज समाज में उनके जैसे लोगों की ज़रूरत है. शिक्षा के कारण समाज को सशक्त और बेहतरीन बनाया जा सकता है.

हरेकला हजब्बा की कहानी को IFS अधिकारी परवीन कासवान ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है. उन्होंने शेयर करते हुए लिखा है- जब हजब्बा को पद्म पुरस्कार से सम्मानित किए जाने की खबर मिली थी, तब वो एक राशन की दुकान पर लाइन पर लगे हुए थे. उन्हें यह ख़बर सुनकर हैरानी हुई थी.

वाकई में कुछ लोग इतिहास रचने आते हैं. ऐसे में हरेकला हजब्बा हमारे लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हैं.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com