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This Article is From Sep 24, 2011

मप्र में मनरेगा बनी मजाक, कागजों पर बने कुएं

भोपाल: मध्य प्रदेश में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (मनरेगा) योजना का जमकर मजाक उड़ाया जा रहा है। इस राशि का उपयोग नौकरशाह अपनी सुविधाएं जुटाने में कर रहे हैं तो कहीं विकास कार्य महज कागजों पर हो रहे हैं। नया मामला दतिया जिले के हथलई गांव का है जहां कपिलधारा के कुएं सिर्फ कागजों पर बने दिखाए गए हैं। ग्रामीणों ने यह खुलासा केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री प्रदीप जैन के सामने किया। केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री जैन शनिवार को दतिया जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलो मीटर दूर बसे हथलई गांव पहुंचे। उन्होंने गांव वालों से सीधी चर्चा की तथा उनसे जानना चाहा कि मनरेगा का उन्हें कितना लाभ मिल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा के तहत पार्क व श्मशान घाट बनाए गए हैं तथा कई स्थानों पर निर्माण कार्य सिर्फ कागज पर ही हुए हैं। गांव के किसानों ने जैन को बताया कि उनके खेतों में कपिलधारा का कुआं बना ही नहीं है तथा कागजों पर निर्माण होना बताया जा रहा है। इतना ही नहीं, किसानों के अधबने कुओं को भी पूरा कर कपिलधारा योजना के कुएं बताया गया है। यहां निर्माण कार्य मजदूरों से नहीं, बल्कि जेसीबी मशीन से कराया गया है। गांव का दौरा करने के बाद जैन ने आईएएनएस से कहा कि मनरेगा के तहत पार्क व श्मशान घाट में निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता मगर दतिया के हथलई गांव में ऐसा हुआ है। कुएं वास्तव में बने नहीं हैं लेकिन कागज पर बने दिखाए गए हैं। इसके अलावा गड़बड़ियों की गवाही भी सरकारी कागजात देते हैं। अधिकारी कुआं निर्माण का प्रमाणीकरण छह सितम्बर को दे रहे हैं वहीं निर्माणस्थल पर कार्य पूरा होने की तिथि 16 सितम्बर दर्ज है, जबकि वास्तव में निर्माण कार्य पूरा होने के बाद ही अधिकारी का प्रमाणीकरण जारी होता है। वहीं गांव में मौजूद जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीएस जादौन का कहना है कि जो शिकायतें मिली हैं, उनकी जांच कराई जाएगी। उल्लेखनीय है कि राज्य में पूर्व में भी कई अधिकारियों पर मनरेगा में गड़बड़ियों के आरोप लग चुके हैं तथा राज्य सरकार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी पड़ी है।

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