
नई दिल्ली:
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी को लोकसभा में अपने पहले कार्यकाल में ही सरकार में काम करने का मौका मिला है। हालांकि वह 1981 में युवा कांग्रेस में शामिल होने के बाद से करीब 31 साल से पार्टी से जुड़े हैं। 47-वर्षीय तिवारी को 2जी स्पेक्ट्रम पर संयुक्त संसदीय समिति में कांग्रेस का बचाव करते और बीजेपी पर पुरजोर हमला करते देखा जाता रहा है।
1998 से 2000 तक भारतीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तिवारी 2004 में लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन 2009 में लुधियाना से वह लोकसभा में पहुंचे। तब उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार गुरचरण सिंह गालिब को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया।
युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से पहले वह कांग्रेस के सचिव भी रहे और 2008 में उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया। तिवारी एक प्रतिष्ठित पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता वीएन तिवारी पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे, जिनकी 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार से कुछ महीने पहले आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
1998 से 2000 तक भारतीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे तिवारी 2004 में लोकसभा चुनाव हार गए थे, लेकिन 2009 में लुधियाना से वह लोकसभा में पहुंचे। तब उन्होंने अकाली दल के उम्मीदवार गुरचरण सिंह गालिब को एक लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया।
युवक कांग्रेस का अध्यक्ष बनने से पहले वह कांग्रेस के सचिव भी रहे और 2008 में उन्हें पार्टी का प्रवक्ता बनाया गया। तिवारी एक प्रतिष्ठित पंजाबी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता वीएन तिवारी पंजाब विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे और स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े रहे, जिनकी 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार से कुछ महीने पहले आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी।
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