महाराष्ट्र के बीड जिले के एक गांव में नब्बे साल पुरानी होली की परंपरा को जीवित रखते हुए मंगलवार को लोगों ने गांव के 'सबसे नए दामाद' को गधे पर बिठाकर घुमाया और उसके बाद उसे उसकी पसंद के कपड़े पहनाए गए. बीड की केज तहसील के विडा गांव में होली के दिन गधे की सवारी देखने का इंतजार आसपास और दूरदराज के सभी निवासियों को रहता है.
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स्थानीय पत्रकार दत्ता देशमुख ने पीटीआई-भाषा से कहा, ''गांव के सबसे नए दामाद को चुना जाता है जिसमें तीन से चार दिन लग जाते हैं. इसके बाद गांव वाले उस पर नजर रखते हैं ताकि होली के दिन वह भाग न जाए. इस साल विडा गांव में (गधे पर घूमने का) यह सम्मान दत्तात्रेय गायकवाड़ को प्राप्त हुआ.''
गांव के एक निवासी अंगन देथे ने बताया कि यह परंपरा गांव के एक प्रतिष्ठित निवासी आनंदराव देशमुख द्वारा नब्बे साल पहले शुरू की गई थी. देथे ने पीटीआई-भाषा से कहा, “परंपरा आनंदराव के दामाद से शुरू हुई थी और तभी से चली आ रही है. जब मैं यहां शादी कर के आया था तब मुझे भी गधे पर घुमाया गया था.'' गधे की सवारी गांव के मध्य क्षेत्र से शुरू होती है और हनुमान मंदिर पर सुबह 11 बजे समाप्त होती है जहां गांव के लोग सवारी करने वाले को उसकी पसंद के वस्त्र देते हैं.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं