
लखनऊ में एकतरफा प्यार में पागल एक युवक ने अपने 'इश्क' में रुकावट डालने वाली महबूबा की मां को ज़िन्दा जला डाला। जब रफीक नाम के इस जुनूनी आशिक को पुलिस ने गिरफ्तार किया तो उसने कहा कि वह 'डर' फिल्म का शाहरुख खान है, और वह फिल्म का अंत बदलना चाहता था, जिसमें शाहरुख की मौत हो जाती है।
रफीक ने कहा कि उसने फिल्म 'डर' 100 बार देखी है। उसने बताया कि फिल्म में शाहरुख को उसकी 'किरण' नहीं मिली थी, लेकिन वह अपनी 'किरण' को हर हाल में हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने मोहब्बत के रास्ते में आ रही 'किरण' की मां को जलाकर मार डाला। पुलिस ने रफीक को कत्ल के इल्ज़ाम में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है और उसका दिमागी इलाज कराने की सलाह दी है।
रफीक का कहना है कि उसके ज़हन में 'डर' फिल्म में हुई शाहरुख खान की मौत बार-बार घूमती है, इसलिए उसे कहानी का यह अंत सख्त नापसंद था। 'किरण' किसी और की हो जाए, यह उसकी बर्दाश्त से बाहर था। वह हर बार फिल्म देखने के बाद कसम खाता था कि वह ज़िन्दा रहेगा और 'किरण' को हासिल करेगा। इसके बाद लखनऊ के अतरौली गांव में रहने वाली एक लड़की को वह अपनी 'किरण' समझने लगा और फिल्म की तरह उसका रास्ता भी रोकने लगा।
लेकिन न तो वह लड़की रफीक को पसंद करती थी, न लड़की की मां को वह पसंद था। लड़की की मां कई बार रफीक को झिड़क भी चुकी थी, और इसी से नाराज़ होकर रफीक ने उसके कत्ल की साज़िश रची। एक रोज़ जब वह घर में खाना बना रही थी, रफीक ने घर की छत पर चढ़कर उस पर पेट्रोल का पूरा कैन उलट दिया और फिर माचिस की तीली जलाकर फेंकी। मां जलकर मर गई। पुलिस हिरासत में रफीक ने एनडीटीवी से कहा, "मुझे लग रहा था कि उसकी मां बिल्कुल 'डर' फिल्म के सनी देओल का रोल कर रही है, और किरण को मुझसे छीनना चाहती है, इसलिए मैंने उसे मार दिया... मैंने कहानी का अंत बदल दिया है..."
लखनऊ के नूर मंज़िल मनोचिकित्सा केंद्र के डॉ हेमंत नायडू कहते हैं, "यह मनोरोग है, जिसमें इंसान अपने को कोई दूसरा किरदार समझने लगता है... ऐसे में गिरफ्तार शख्स को इलाज की सख्त ज़रूरत है..."
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