लंदन:
बाएं हाथ से काम करने वाले लोग दाएं हाथ से काम करने वालों की अपेक्षा अधिक डरपोक होते हैं। इस सम्बंध में किए गए एक अध्ययन में मनोवैज्ञानिकों ने कई लोगों को आठ मिनट की एक डरावनी फिल्म दिखाई। फिल्म देखने के बाद बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों में 'पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस', यानी, आघात के लम्बे समय तक रहने वाले असर के लक्षण अधिक देखे गए। समाचार पत्र 'टेलीग्राफ' के मुताबिक जब फिल्म 'साइलेंस ऑफ द लैम्ब्स' के क्लाइमैक्स वाले इस छोटे से हिस्से में देखी गई बातों को सुनाने के लिए कहा गया, तो बाएं हाथ से काम करने वालों ने एक ही बात को बार-बार दुहराया और उनकी बातों में तारतम्यता का अभाव था। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस से प्रभावित लोगों में यह व्यवहार देखा जाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस अध्ययन से यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि लोगों में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस का विकास कैसे होता है और मस्तिष्क पर डर का किस प्रकार से प्रभाव होता है। ईडेनबर्ग में क्वीन मार्गेट्र युनिवर्सिटी की शोधार्थी कैरोलीन चौधरी ने कहा कि दाएं हाथ से काम करने वाले लोगों की तुलना में बाएं हाथ से काम करने वाले लोगों में पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस का असर लगभग दोगुना पाया गया।
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