वीडियो में दिख रही धुंआ छोड़ती हुई हथिनी.
नई दिल्ली:
हाल ही में सामने आए कर्नाटक के जंगल के फुटेज ने लोगों को आश्चर्य में डाल दिया है. वाइल्ड लाइफ कंज़र्वेशन सोसायटी- इंडिया ने फेसबुक पर 20 मार्च को यह वीडियो पोस्ट किया है. इस वीडियो में एक हथिनी स्मोकिंग करती हुई प्रतीत होती है!
हालांकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण समिति संरक्षक सहायता और नीति के सहायक निदेशक विनय कुमार ने यह चौंकाने वाला वीडियो अप्रैल 2007 में शूट किया था, लेकिन इसे केवल तीन दिन पहले जनता के साथ साझा किया गया.
हैरत में डालने वाले इस वीडियो में एक हथिनी जंगल में जमीन से कुछ उठाती है और 'स्मोकिंग' करती है. यह घटना कर्नाटक के नगरहोल राष्ट्रीय उद्यान में हुई थी. विनय कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि वीडियो में दिख रही हथिनी 30 से 35 साल की है.
हैरत में डालने वाला वीडियो
वास्तव में वीडियो पर चल क्या रहा है? इस बारे में डब्ल्यूसीएस इंडिया के वैज्ञानिक और हाथी जीवविज्ञानी डॉ वरुण गोस्वामी बताते हैं कि "हथिनी लकड़ी से जलकर बने कोयले को निगलने की कोशिश कर रही थी. वह जले हुए जंगल की राख सूंड से उठा रही थी."
डब्ल्यूसीएस के फेसबुक पोस्ट में गोस्वामी ने कहा है कि, लकड़ी के कोयला का कोई पौष्टिक महत्व नहीं हो सकता, लेकिन जंगली जानवर अक्सर इसके "औषधीय गुणों" के लिए आकर्षित होते हैं. यह एक लैक्सेटिव के रूप में भी कार्य करता है. वनों के नियंत्रित रूप से जलने के बाद जंगली जानवर इसके प्रति आकर्षित होते हैं.
जानवरों के इस तरह के व्यवहार का मामला पहली बार सामने आया है. कुमार ने एनडीटीवी को बताया कि जहां तक वे जानते हैं, इस बारे में पहली बार कोई दृश्य रिकार्ड किया गया है.
हालांकि भारतीय वन्यजीव संरक्षण समिति संरक्षक सहायता और नीति के सहायक निदेशक विनय कुमार ने यह चौंकाने वाला वीडियो अप्रैल 2007 में शूट किया था, लेकिन इसे केवल तीन दिन पहले जनता के साथ साझा किया गया.
हैरत में डालने वाले इस वीडियो में एक हथिनी जंगल में जमीन से कुछ उठाती है और 'स्मोकिंग' करती है. यह घटना कर्नाटक के नगरहोल राष्ट्रीय उद्यान में हुई थी. विनय कुमार ने एनडीटीवी से कहा कि वीडियो में दिख रही हथिनी 30 से 35 साल की है.
हैरत में डालने वाला वीडियो
वास्तव में वीडियो पर चल क्या रहा है? इस बारे में डब्ल्यूसीएस इंडिया के वैज्ञानिक और हाथी जीवविज्ञानी डॉ वरुण गोस्वामी बताते हैं कि "हथिनी लकड़ी से जलकर बने कोयले को निगलने की कोशिश कर रही थी. वह जले हुए जंगल की राख सूंड से उठा रही थी."
डब्ल्यूसीएस के फेसबुक पोस्ट में गोस्वामी ने कहा है कि, लकड़ी के कोयला का कोई पौष्टिक महत्व नहीं हो सकता, लेकिन जंगली जानवर अक्सर इसके "औषधीय गुणों" के लिए आकर्षित होते हैं. यह एक लैक्सेटिव के रूप में भी कार्य करता है. वनों के नियंत्रित रूप से जलने के बाद जंगली जानवर इसके प्रति आकर्षित होते हैं.
जानवरों के इस तरह के व्यवहार का मामला पहली बार सामने आया है. कुमार ने एनडीटीवी को बताया कि जहां तक वे जानते हैं, इस बारे में पहली बार कोई दृश्य रिकार्ड किया गया है.
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