इस देश ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा रॉकेट, जानिए किसने किया ये कारनामा

जापान ने शानदार उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया के सबसे छोटे रॉकेट का इस्तेमाल कर एक उपग्रह का सफलत प्रक्षेपण कर दिया. जापान ने सूक्ष्म उपग्रहों के तेजी से बढ़ते बाजार का लाभ उठाने के लिए सस्ते-हल्के रॉकेट बनाने का प्रयास कर रहे देशों को पछाड़ दिया है.

इस देश ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा रॉकेट, जानिए किसने किया ये कारनामा

जापान ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा रॉकेट.

खास बातें

  • जापान ने बनाया दुनिया का सबसे छोटा रॉकेट.
  • रॉकेट लैंप पोस्ट के आकार का है और इसका व्यास 50 सेंटीमीटर है.
  • इसरो ने छोटे रॉकेट विकसित करने की घोषणा कर दी है.
नई दिल्ली:

जापान ने शानदार उपलब्धि हासिल करते हुए दुनिया के सबसे छोटे रॉकेट का इस्तेमाल कर एक उपग्रह का सफलत प्रक्षेपण कर दिया. जापान ने सूक्ष्म उपग्रहों के तेजी से बढ़ते बाजार का लाभ उठाने के लिए सस्ते-हल्के रॉकेट बनाने का प्रयास कर रहे देशों को पछाड़ दिया है. जापानी अंतरिक्ष एजेंसी 'जेएएक्सए' ने बताया कि एसएस-520 नामक रॉकेट लैंप पोस्ट के आकार का है और इसका व्यास 50 सेंटीमीटर है. इसे कागोशिमा स्थित यूकिनौरा अंतरिक्ष केंद्र से प्रक्षेपित करके इसकी कक्षा में स्थापित कर दिया.

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तीन चरणीय रॉकेट टोक्यो विश्वविद्यालय द्वारा पृथ्वी की सतह के चित्र लेने के लिए विकसित किए गए लगभग तीन किलोग्राम वजनी सूक्ष्म उपग्रह को ले गया. पिछले वर्ष एसएस-520 को प्रक्षेपण के कुछ ही समय बाद तकनीकी खराबी आने के कारण नष्ट कर दिया गया था. उसके बाद जापान ने यह सफल प्रक्षेपण किया है. भारत डायनेमिक्स लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष और अंतरिक्ष तंत्र विश्लेषक राघवन गोपालास्वामी ने जापान द्वारा उपग्रह प्रक्षेपण के लिए हल्के रॉकेट के उपयोग को शानदार बताया है.

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जापान की खबरों के अनुसार, अंतरिक्ष एजेंसी ने रॉकेट की लागत कम करने के लिए बाजार में सुगमता से उपलब्ध होने वाले घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स, स्मार्टफोन के उपकरणों का उपयोग किया. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने के लिए यानों की बढ़ती मांग को देखते हुए छोटे रॉकेट विकसित करने की घोषणा कर दी है.

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एक रिपोर्ट के अनुसार, इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि संस्थान ऐसे छोटे यानों को विकसित करने की योजना बना रहा है जो मात्र तीन दिन में तैयार हो जाए. जो पहले से हल्का और जिनकी कीमत पारंपरिक यानों से दस गुना सस्ती हो.

(इनपुट-आईएनएस)


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