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This Article is From Feb 15, 2011

'किराए की कोख' का केंद्र बना भारत

New Delhi: किराए की कोख के जरिए बच्चे के जन्म के लिए भारत को सबसे अच्छा स्थान माना जाने लगा है। वास्तव में यह एक सहायक प्रजनन तकनीक (एआरटी) है जिसमें एक महिला का बच्चा किसी दूसरी महिला के गर्भ में विकसित होता है। स्त्री रोग विशेषज्ञों का मानना है कि मां बनने वाली महिलाओं की स्वस्थ जीवनशैली और पश्चिम के मुकाबले यहां कम खर्च होने की वजह से किराए की कोख के लिए भारत पसंदीदा स्थल बन गया है। प्रजनन एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ शिवानी सचदेव गौड़ ने बताया, " इसका चलन बढ़ने की मुख्य वजह इस प्रक्रिया का सस्ता होना और भारतीय महिलाओं की स्वस्थ जीवनशैली है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ जीवनशैली बहुत जरूरी होती है।" गौड़ ने कहा, "यहां की महिलाओं की जीवनशैली में नशीले पदार्थों, मद्यपान और धूम्रपान की बहुत कम जगह है। इसका बच्चे के स्वास्थ्य और मां पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा अन्य देशों की तुलना में भारत में इस प्रक्रिया के लिए बने कानून बहुत उदार हैं।" उन्होंने बताया कि उनके दक्षिण दिल्ली स्थित सरोगेसी सेंटर ऑफ इंडिया हेल्थकेयर में ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों व मध्यपूर्व के देशों से हर महीने करीब 25 मरीज आते हैं। भारत में किराए की कोख पर 50,000 रुपये से लेकर 100,000 रुपये (1,000 डॉलर से लेकर 2,000 डॉलर) तक का खर्च आता है। अमेरिका और ब्रिटेन जैसे अन्य देशों में इसी काम के लिए भारत की तुलना में पांच गुना अधिक खर्च आता है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की चिकित्सक अलका कृपलानी कहती हैं, "विकृत गर्भाशय होने या गर्भावस्था होने पर मां की जान को खतरा होने की स्थिति में इस प्रक्रिया को अपनाने की सलाह दी जाती है लेकिन हमारे देश में धीरे-धीरे इसकी और भी वजहें विकसित हो रही हैं।" विशेषज्ञों की राय में अन्य देशों की तुलना में भारत में होने इस प्रक्रिया के परिणाम बेहतर हैं। गौड़ कहती हैं, "करीब 60 प्रतिशत मामलों में माताएं अपने साथ स्वस्थ शिशु लेकर जाती हैं जबकि 15 प्रतिशत से भी कम मामलों में गर्भपात होता है।"

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भारत, पसंदीदा स्थल, किराए की कोख
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