हेतल दवे। फोटो साभार : twitter.com/hetalhd
सूमो पहलवान वह भी महिला...। 27 वर्षीय हेतल दवे भारत की पहली महिला सूमो पहलवान हैं जिन्होंने 2009 में ताईवान में हुई विश्व सूमो कुश्ती प्रतियोगिता में 5वां स्थान हासिल किया था। बीबीसी में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सूमो कुश्ती को मान्यता प्राप्त खेल का दर्जा नहीं मिला है और इस कारण हेतल कई प्रतियोगिताओं में भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर पातीं। प्रायोजकों के न होने की वजह से हेतल विदेशों में हो रही प्रतियोगिताओं के लिए भी नहीं जा पातीं। उन्हें सूमो कुश्ती में अपना करियर बनाने के लिए कई कठिनाइयों से गुज़रना पड़ रहा है।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज नाम..
मुंबई में रह रहीं हेतल अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करवा चुकी हैं लेकिन सरकार से उन्हें अब तक किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। महाराष्ट्र के एक खेल अधिकारी ने बीबीसी को बताया, जब तक यह खेल ओलिंपिक में दर्ज नहीं हो जाता, तब तक हम इसे मान्यता नहीं दे सकते और न ही इसके खिलाड़ियों को कोई मदद दे सकते हैं।
हेतल को अपने परिवार से सूमो कुश्ती जारी रखने में काफी सहयोग मिल रहा है। हेतल के पिता सुधीर दवे इस बात पर कहते हैं, हर मां-बाप की तरह हमारी भी इच्छा है कि उसकी शादी सही समय पर हो, लेकिन हम नहीं चाहते की इस वजह से उसका ध्यान अपने खेल से अलग हटे।
65-85 किलोग्राम वर्ग में भाग लेती हैं हेतल...
सूमो पहलवान के बारे में सुनते ही मन में एक भारी और वजनदार शरीर की छवि बन जाती है, लेकिन 65-85 किलोग्राम वर्ग में भाग लेने वाली हेतल कहती हैं, सूमो कुश्ती सिर्फ वज़न के दम पर नहीं खेली जाती।
वे आगे बताती हैं, मेरा वजन लगभग 76 किलो है और जब मैं किसी से कहती हूँ कि मैं एक सूमो पहलवान हूँ तो वे मुझे पहले ऊपर से नीचे तक घूर कर देखते हैं क्योंकि वे किसी भारी भरकम इंसान को ढूंढ रहे होते हैं।
हेतल सूमो कुश्ती सीखने के साथ स्कूल के छात्रों को कुश्ती और जूडो का प्रशिक्षण भी देती हैं और उस दिन के इंतज़ार में हैं जब भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से सूमो कुश्ती को मान्यता मिल जाएगी।
लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज नाम..
मुंबई में रह रहीं हेतल अपना नाम लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में दर्ज करवा चुकी हैं लेकिन सरकार से उन्हें अब तक किसी प्रकार की मदद नहीं मिली। महाराष्ट्र के एक खेल अधिकारी ने बीबीसी को बताया, जब तक यह खेल ओलिंपिक में दर्ज नहीं हो जाता, तब तक हम इसे मान्यता नहीं दे सकते और न ही इसके खिलाड़ियों को कोई मदद दे सकते हैं।
हेतल को अपने परिवार से सूमो कुश्ती जारी रखने में काफी सहयोग मिल रहा है। हेतल के पिता सुधीर दवे इस बात पर कहते हैं, हर मां-बाप की तरह हमारी भी इच्छा है कि उसकी शादी सही समय पर हो, लेकिन हम नहीं चाहते की इस वजह से उसका ध्यान अपने खेल से अलग हटे।
65-85 किलोग्राम वर्ग में भाग लेती हैं हेतल...
सूमो पहलवान के बारे में सुनते ही मन में एक भारी और वजनदार शरीर की छवि बन जाती है, लेकिन 65-85 किलोग्राम वर्ग में भाग लेने वाली हेतल कहती हैं, सूमो कुश्ती सिर्फ वज़न के दम पर नहीं खेली जाती।
वे आगे बताती हैं, मेरा वजन लगभग 76 किलो है और जब मैं किसी से कहती हूँ कि मैं एक सूमो पहलवान हूँ तो वे मुझे पहले ऊपर से नीचे तक घूर कर देखते हैं क्योंकि वे किसी भारी भरकम इंसान को ढूंढ रहे होते हैं।
हेतल सूमो कुश्ती सीखने के साथ स्कूल के छात्रों को कुश्ती और जूडो का प्रशिक्षण भी देती हैं और उस दिन के इंतज़ार में हैं जब भारतीय खेल प्राधिकरण की ओर से सूमो कुश्ती को मान्यता मिल जाएगी।
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