
दिल्ली में एक शख्स के लिए रेगुलर कैब बुकिंग उस समय एक डरावनी कहानी में बदल गई जब ड्राइवर नशे में धुत होकर आया और बाद में उसका पीछा भी किया. रेडिट पर अब वायरल हो रही एक पोस्ट में, एक यूजर ने बताया कि कैसे दिल्ली के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र के बवाना से उसकी राइड बर्बाद हो गई, वहीं कैब कंपनी और पुलिस ने इसके बाद कुछ नहीं किया.
ओपी ने r/delhi सबरेडिट पर लिखा, "वह शख्स नशे में था कि गाड़ी पर उसका नियंत्रण ही नहीं था. जब मैंने रैपिडो पर एसओएस इस्तेमाल करने की कोशिश की, तो उसने मेरा फ़ोन छीन लिया और कहा, 'मैप चल तो रहा है.'
यूजर ने कहा कि उसने ट्रैफ़िक कर्मियों को ढूंढने की कोशिश की और कैब ड्राइवर को रोकने के लिए काफी कोशिश भी की, लेकिन कुछ भी काम नहीं आया.
डर के 40 मिनट
यूजर ने कहा, "आखिरकार 40 मिनट की तेज़ गाड़ी चलाने के बाद मैं अपने गंतव्य पर पहुंच गया, लेकिन मैंने रास्ता बदलकर पुलिस स्टेशन जाने का फैसला किया, वहां पुलिस ट्रैफ़िक कर्मी मौजूद थे." उन्होंने आगे बताया कि उन्हें अंदर जाकर घटना की सूचना देने के लिए कहा गया था.
यूजर ने आगे लिखा, "मैं अंदर गया और बात की, लेकिन मुझे बाहर ट्रैफ़िक वालों से बात करने का आदेश दिया गया. जब मैं बाहर आया, तो पता नहीं वे कहीं नहीं मिले. मुझे पूरी घटना रिकॉर्ड न करने पर बहुत बेवकूफ़ी महसूस हुई. मैंने रैपिडो सपोर्ट को फ़ोन करने की कोशिश की, उन्होंने जवाब नहीं दिया, हां, उन्होंने जवाब दिया, लेकिन एक घंटे बाद."
जैसे ही यूजर अपने गंतव्य की ओर चलने लगा, ड्राइवर उसका पीछा करने लगा और उससे सवारी का किराया मांगने लगा.
"उस आदमी की इतनी हिम्मत थी कि वह मेरा पीछा करने लगा, यह कहते हुए कि मैंने पैसे नहीं दिए, मानो कार में ही मेरा पीछा कर रहा हो. जब मैंने उससे कहा कि वह नशे में है, तो उसने कहा, 'हां भाई पी है सुबह लेकिन नशे में नहीं हूं'.
"हालांकि मैं उस शख्स पूरी तरह से फटकार सकता था, लेकिन मुझे लगा कि मुझे कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. मैं कार का इंटीरियर और चैट अटैच कर रहा हूं. क्या मुझे उचित एफ़आईआर दर्ज करानी चाहिए?"
पोस्ट यहां देखें:
HORRIBLE RAPIDO EXPERIENCE
byu/RYUKadyan indelhi
'पुलिस अपना काम नहीं कर रही'
जैसे ही यह पोस्ट वायरल हुई, अन्य यूज़र्स ने भी कैब ड्राइवरों के साथ अपने उतने ही परेशान करने वाले अनुभव साझा किए, जबकि कुछ ने सिस्टम की उदासीनता पर कमेंट किया.
एक यूज़र ने लिखा, "मेरे साथ भी ऐसी ही, थोड़ी कम भयावह घटना हुई थी. मैं देर रात यात्रा कर रहा था. ड्राइवर ने लगभग पूरे रास्ते 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गाड़ी चलाई. मैं तो डर के मारे मर गया था." जबकि दूसरे ने लिखा: "पुलिस से प्रभावित हूं, उनका अपना काम न करने का निरंतर प्रयास सराहनीय है."
एक तीसरे ने कमेंट किया: "आपको यह समझने की ज़रूरत है कि आजकल कोई भी ऐप या कंपनी ग्राहक सेवा के लिए खुद से लोगों को नियुक्त नहीं करती. वे इसे किसी तीसरे पक्ष को आउटसोर्स कर देते हैं. यही तो बीपीओ उद्योग का सार है."
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