अमेरिका में मौत की सजा देने का अनोखा मामला सामने आया है. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
हमारे देश में कई ऐसे कैदी हैं जिनकी फांसी फंदे की कमी के चलते टलती रहती है. वहीं अमेरिका में बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है. अमेरिका में दो लोगों को सिर्फ इसलिए एक साथ मौत की सजा दे दी गई, क्योंकि जहरीले इंजेक्शन की एक्सपायरी डेट बेहद करीब थी. अरकंसास प्रांत की जेल में बंद इन कैदियों की याचिका सोमवार को ही कोर्ट ने खारिज की थी. साल 2000 के बाद पहली बार अमेरिका में एक साथ दो लोगों को मौत की सजा दी गई है.
न्यूजवीक (newsweek) के मुताबिक 52 साल का जैक जोंस हत्या और दुष्कर्म का दोषी था. मार्सेल विलियम्स (46) को दुष्कर्म मामले में सजा हुई थी. दोनों को 1990 के दशक में मौत की सजा सुनाई गई थी. जोंस को शाम 7:06 बजे इंजेक्शन लगाया गया. करीब 14 मिनट बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया. इसके तीन घंटे बाद विलियम्स को मृत घोषित किया गया.
अरकंसास की सरकार 11 दिन के भीतर आठ कैदियों को मौत की सजा देना चाहती थी. इनमें से तीन को सजा दी जा चुकी है. पर चार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है.
अरकंसास के गवर्नर आसा हचिंसन ने कहा कि मौत की सजा जल्दी देना इसलिए जरूरी है क्योंकि जहरीले इंजेक्शन के साथ दी जाने वाली बेहोशी की दवा 30 अप्रैल को खत्म हो जाएगी. इसके बाद उसके मिलने की संभावना नहीं है. अब 27 अप्रैल को दूसरे कैदी को मौत दी जाएगी.
मालूम हो कि जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा देने के लिए तीन दवाएं देनी होती हैं. बेहोशी के लिए मिडाजोलम, सांस रोकने के लिए वेक्यूरोनियम और दिल की धड़कन बंद करने के लिए तीसरी दवा. मिडोजोलम केवल 30 अप्रैल तक के लिए ही है.
कंपनियां चाहती हैं कि उनकी बनाई दवा से किसी की मौत न हो. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सख्त है. इस कारण कंपनियों ने इन दवाओं का प्रोडेक्शन बंद कर दिया है. जो दवाएं बाजार में मौजूद है, उनकी एक्सपायरी डेट भी करीब हैं.
अमेरिका के 35 राज्यों में करीब 1000 कैदियों को मौत की सजा हो चुकी है. दवा की कमी से इस पर अमल नहीं हो रहा है. अब राज्य इलेक्ट्रिक चेयर, फायरिंग स्क्वॉड जैसे दूसरे विकल्प पर विचार कर रहे हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में दुनिया भर में करीब 1032 लोगों को मौत की सजा दी गई. पर इसमें चीन के आंकड़े शामिल नहीं हैं क्योंकि चीनी सरकार इसे गुप्त रूप से करती है. एमनेस्टी का मानना है कि चीन में हर साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी जाती है. चीन के मानवाधिकार समूह दुई हुआ के कार्यकारी निदेशक जॉन काम के मुताबिक देश में पिछले साल तकरीबन 2000 लोगों को फांसी हुई.
न्यूजवीक (newsweek) के मुताबिक 52 साल का जैक जोंस हत्या और दुष्कर्म का दोषी था. मार्सेल विलियम्स (46) को दुष्कर्म मामले में सजा हुई थी. दोनों को 1990 के दशक में मौत की सजा सुनाई गई थी. जोंस को शाम 7:06 बजे इंजेक्शन लगाया गया. करीब 14 मिनट बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया. इसके तीन घंटे बाद विलियम्स को मृत घोषित किया गया.
अरकंसास की सरकार 11 दिन के भीतर आठ कैदियों को मौत की सजा देना चाहती थी. इनमें से तीन को सजा दी जा चुकी है. पर चार को हाईकोर्ट से राहत मिल गई है.
अरकंसास के गवर्नर आसा हचिंसन ने कहा कि मौत की सजा जल्दी देना इसलिए जरूरी है क्योंकि जहरीले इंजेक्शन के साथ दी जाने वाली बेहोशी की दवा 30 अप्रैल को खत्म हो जाएगी. इसके बाद उसके मिलने की संभावना नहीं है. अब 27 अप्रैल को दूसरे कैदी को मौत दी जाएगी.
मालूम हो कि जहरीले इंजेक्शन से मौत की सजा देने के लिए तीन दवाएं देनी होती हैं. बेहोशी के लिए मिडाजोलम, सांस रोकने के लिए वेक्यूरोनियम और दिल की धड़कन बंद करने के लिए तीसरी दवा. मिडोजोलम केवल 30 अप्रैल तक के लिए ही है.
कंपनियां चाहती हैं कि उनकी बनाई दवा से किसी की मौत न हो. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले में सख्त है. इस कारण कंपनियों ने इन दवाओं का प्रोडेक्शन बंद कर दिया है. जो दवाएं बाजार में मौजूद है, उनकी एक्सपायरी डेट भी करीब हैं.
अमेरिका के 35 राज्यों में करीब 1000 कैदियों को मौत की सजा हो चुकी है. दवा की कमी से इस पर अमल नहीं हो रहा है. अब राज्य इलेक्ट्रिक चेयर, फायरिंग स्क्वॉड जैसे दूसरे विकल्प पर विचार कर रहे हैं.
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में दुनिया भर में करीब 1032 लोगों को मौत की सजा दी गई. पर इसमें चीन के आंकड़े शामिल नहीं हैं क्योंकि चीनी सरकार इसे गुप्त रूप से करती है. एमनेस्टी का मानना है कि चीन में हर साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी जाती है. चीन के मानवाधिकार समूह दुई हुआ के कार्यकारी निदेशक जॉन काम के मुताबिक देश में पिछले साल तकरीबन 2000 लोगों को फांसी हुई.
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