इंदौर:
केदारनाथ धाम में कुदरत के भीषण कोहराम के शिकार तीर्थयात्रियों के शोकाकुल परिजन अपने सगे-संबंधियों के शव न मिल पाने के चलते भारी मन से उनका प्रतीकात्मक अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। हिंदुओं के धार्मिक रीति-रिवाज पूरे करने के लिए इस तरह की अंत्येष्टियों में तीर्थयात्रियों की पार्थिव शरीर की जगह आटे के पुतलों, वस्त्रों और तस्वीरों को अग्नि के हवाले किया जा रहा है।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा के इंदौर मंडल के महामंत्री भगवान सिंह (45), उनकी पत्नी सुगन बाई (40) और उनके करीबी रिश्तेदार रूपसिंह (70) उन अभागे तीर्थयात्रियों में शामिल हैं, जो केदारनाथ धाम में अतिवृष्टि के बाद आई प्राकृतिक आपदा के शिकार हो गए।
सूत्रों के मुताबिक एक ही कुनबे के तीनों तीर्थयात्री नजदीकी गांव झलारिया के रहने वाले थे। वे एक निजी ट्रैवल्स संचालक की बस से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर निकले जत्थे में शामिल थे।
उन्होंने बताया कि तीनों तीर्थयात्रियों के परिजन ने उनके शव न मिल पाने की वजह से उनकी प्रतीकात्मक अंत्येष्टि करने का निर्णय किया।
सूत्रों ने बताया कि तीर्थयात्रियों के परिजन ने दो अर्थियां तैयार कीं। एक अर्थी में यह मानकर आटे के दो पुतले रखे गए कि ये भगवान सिंह और उनकी पत्नी सुगन बाई के शव हैं। दूसरी अर्थी में भी रूपसिंह के शव की जगह आटे का पुतला रखा गया।
सूत्रों ने बताया कि भाजपा के इंदौर मंडल के महामंत्री भगवान सिंह (45), उनकी पत्नी सुगन बाई (40) और उनके करीबी रिश्तेदार रूपसिंह (70) उन अभागे तीर्थयात्रियों में शामिल हैं, जो केदारनाथ धाम में अतिवृष्टि के बाद आई प्राकृतिक आपदा के शिकार हो गए।
सूत्रों के मुताबिक एक ही कुनबे के तीनों तीर्थयात्री नजदीकी गांव झलारिया के रहने वाले थे। वे एक निजी ट्रैवल्स संचालक की बस से उत्तराखंड की चार धाम यात्रा पर निकले जत्थे में शामिल थे।
उन्होंने बताया कि तीनों तीर्थयात्रियों के परिजन ने उनके शव न मिल पाने की वजह से उनकी प्रतीकात्मक अंत्येष्टि करने का निर्णय किया।
सूत्रों ने बताया कि तीर्थयात्रियों के परिजन ने दो अर्थियां तैयार कीं। एक अर्थी में यह मानकर आटे के दो पुतले रखे गए कि ये भगवान सिंह और उनकी पत्नी सुगन बाई के शव हैं। दूसरी अर्थी में भी रूपसिंह के शव की जगह आटे का पुतला रखा गया।
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