नई दिल्ली: 3 अप्रैल, 1914 को अमृतसर के एक पारसी परिवार में जन्मे सैम मानेकशॉ (Sam Bahadur Manekshaw) एकमात्र ऐसे सेनाधिकारी थे, जिन्हें सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पदोन्नति दी गई थी. अमृतसर में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद मानेकशॉ (Field Marshal Sam Bahadur Manekshaw) नैनीताल के शेरवुड कॉलेज में दाखिल हुए और देहरादून के इंडियन मिलिट्री एकेडमी के पहले बैच के लिए चुने गए 40 छात्रों में से एक थे, जहां से कमीशन पाकर वह भारतीय सेना में भर्ती हुए.
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'सैम बहादुर' (Sam Bahadur) के नाम से मशहूर सैम मानेकशॉ ने 7 जून 1969 को भारत के 8वें चीफ ऑफ द आर्मी स्टाफ का पद ग्रहण किया, और उसके बाद दिसंबर, 1971 में उन्हीं के नेतृत्व में भारत-पाक युद्ध हुआ, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश का जन्म हुआ.
मार्शल अर्जन सिंह सहित सिर्फ तीन भारतीय सेनाधिकारी पहुंचे पांच-सितारा रैंक तक
Remembering India's best known soldier, Legendary Field #Marshal #SamManekshaw on his Birth anniversary. pic.twitter.com/nhLZkte8ll
— Doordarshan National (@DDNational) April 3, 2019
सैम मानेकशॉ के देशप्रेम व देश के प्रति निस्वार्थ सेवा के चलते उन्हें वर्ष 1972 में देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मविभूषण से नवाज़ा गया, तथा जनवरी, 1973 को में उन्हें फील्ड मार्शल का पद दिया गया, और इसी माह वह सेवानिवृत्त हो गए.
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सैम मानेकशॉ देश के एकमात्र सेनाधिकारी थे, जो सेवानिवृत्ति से पहले ही पांच सितारा रैंक तक पहुंच गए थे. वृद्धावस्था में उन्हें फेफड़े संबंधी रोग हो गया था, और 27 जून, 2008 को तमिलनाडु के वेलिंगटन स्थित सैन्य अस्पताल में उनका देहावसान हो गया.
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