
सिडनी:
माता-पिता को अपने बच्चों की तारीफ करने से पहले दो बार सोचना चाहिए क्योंकि ऑस्ट्रेलिया में किया गया एक नया शोध कहता है कि बच्चों की जरूरत से अधिक तारीफ और बाल प्रताड़ना के बीच एक गहरा संबंध है।
ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ टोनी नोबेल ने अपने शोध कार्य के दौरान पाया कि तारीफ और प्रताड़ना के बीच आत्म सम्मान भी जुड़ा होता है।
नोबेल ने कहा ,‘‘ दूसरे बच्चों को प्रताड़ित करने वाले कुछ बच्चों में माता-पिता द्वारा की जाने वाली अधिक तारीफ के कारण अपने को औरों से खास समझने की भावना विकसित हो जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक गलतफहमी है कि खुद को कमतर मानने वाले बच्चे ही दूसरे बच्चों को प्रताड़ित करते हैं।’’ एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘यदि आप बच्चों में विशेषाधिकार की भावना पैदा करते हैं तो उनमें यह भावना पैदा होती है कि वे हर उस चीज को पाने के अधिकारी हैं जिसे वे चाहते हैं।’’ इससे बच्चों में दबंगई और आक्रामकता बढ़ती है और इसीलिए माता-पिता को वास्तविकता के आधार पर ही बच्चों की तारीफ करनी चाहिए।
एक अन्य मनोचिकित्सक ने कहा, ‘‘ यह समझना हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि माता-पिता का बच्चों पर कुछ नियंत्रण होना चाहिए। ऐसा दावा किया गया है कि बच्चों को सच्चाइयों से अवगत कराते रहने की जरूरत है ताकि यह समझ विकसित की जा सके कि गलतियां करना और फेल होना कोई बुरी बात नहीं है। नोबेल ने कहा, ‘‘ विफलता हमें हमारी गलतियों से सीखाती है और सीखने के लिए यह बहुत जरूरी है।’’
ऑस्ट्रेलियन कैथोलिक यूनिवर्सिटी के एक विशेषज्ञ टोनी नोबेल ने अपने शोध कार्य के दौरान पाया कि तारीफ और प्रताड़ना के बीच आत्म सम्मान भी जुड़ा होता है।
नोबेल ने कहा ,‘‘ दूसरे बच्चों को प्रताड़ित करने वाले कुछ बच्चों में माता-पिता द्वारा की जाने वाली अधिक तारीफ के कारण अपने को औरों से खास समझने की भावना विकसित हो जाती है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह एक गलतफहमी है कि खुद को कमतर मानने वाले बच्चे ही दूसरे बच्चों को प्रताड़ित करते हैं।’’ एक स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘यदि आप बच्चों में विशेषाधिकार की भावना पैदा करते हैं तो उनमें यह भावना पैदा होती है कि वे हर उस चीज को पाने के अधिकारी हैं जिसे वे चाहते हैं।’’ इससे बच्चों में दबंगई और आक्रामकता बढ़ती है और इसीलिए माता-पिता को वास्तविकता के आधार पर ही बच्चों की तारीफ करनी चाहिए।
एक अन्य मनोचिकित्सक ने कहा, ‘‘ यह समझना हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है कि माता-पिता का बच्चों पर कुछ नियंत्रण होना चाहिए। ऐसा दावा किया गया है कि बच्चों को सच्चाइयों से अवगत कराते रहने की जरूरत है ताकि यह समझ विकसित की जा सके कि गलतियां करना और फेल होना कोई बुरी बात नहीं है। नोबेल ने कहा, ‘‘ विफलता हमें हमारी गलतियों से सीखाती है और सीखने के लिए यह बहुत जरूरी है।’’
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