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वाशिंगटन:
ध्वनि के विभिन्न पहलुओं की पहचान के लिए मस्तिष्क के दोनों किनारों का इस्तेमाल चमगादड़ भी करते हैं। इससे पहले यह धारणा थी कि ऐसा केवल मनुष्य ही करते हैं। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है।
जॉर्जटाउन युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर तथा अमेरिकन युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि ध्वनि के विभिन्न पहलुओं की पहचान के लिए मनुष्यों की ही तरह मूंछ वाले चमगादड़ भी मस्तिष्क के दोनों किनारों का इस्तेमाल करते हैं।
ध्वनि की पहचान के लिए आज तक, कोई अन्य जानवर यहां तक कि बंदर और लंगूर भी मस्तिष्क के दोनों किनारों का इस्तेमाल करते नहीं देखे गए।
अध्ययन के मुख्य लेखक व तंत्रिका वैज्ञानिक स्टूअर्ट वाशिंगटन ने कहा, 'इस निष्कर्ष से चमगादड़ों के मस्तिष्क के अध्ययन से मानव भाषा विकारों तथा कंप्यूटर स्पीच रिकॉगनिशन को समझने की दिशा में मदद मिलेगी।' यह अध्ययन पत्रिका 'फ्रंटियर्स ऑफ न्यूरोसाइंसेज' में प्रकाशित हुआ है।
जॉर्जटाउन युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर तथा अमेरिकन युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने पाया कि ध्वनि के विभिन्न पहलुओं की पहचान के लिए मनुष्यों की ही तरह मूंछ वाले चमगादड़ भी मस्तिष्क के दोनों किनारों का इस्तेमाल करते हैं।
ध्वनि की पहचान के लिए आज तक, कोई अन्य जानवर यहां तक कि बंदर और लंगूर भी मस्तिष्क के दोनों किनारों का इस्तेमाल करते नहीं देखे गए।
अध्ययन के मुख्य लेखक व तंत्रिका वैज्ञानिक स्टूअर्ट वाशिंगटन ने कहा, 'इस निष्कर्ष से चमगादड़ों के मस्तिष्क के अध्ययन से मानव भाषा विकारों तथा कंप्यूटर स्पीच रिकॉगनिशन को समझने की दिशा में मदद मिलेगी।' यह अध्ययन पत्रिका 'फ्रंटियर्स ऑफ न्यूरोसाइंसेज' में प्रकाशित हुआ है।
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