
मुंबई:
लाखों रुपये के नोट देकर भी इंसान की नीयत नहीं बदली। उसने ईमानदारी से जिनके पैसे थे, उन्हें फोन किया और नोटों से भरी थैली वापस कर दी। ईमानदारी की ये सच्ची कहानी मुंबई से सटे भिवंडी की है।
दरअसल, भिवंडी से काल्हेर जाने के लिए मिलिंद अंबावने सलीम शेख के ऑटो पर सवार हुए। मिलिंद अपने दोस्त के साथ मिलकर एक नई दुकान खोलने वाले थे, इसलिए साथ में दस सालों की कमाई 1 लाख 60 हज़ार रुपये, ज़रूरी कागज़ात और कुछ सामान भी था। ऑटो में बैठकर उन्होंने सामान आगे रखा, लेकिन नोटों से भरी थैली ऑटो के पीछे रख दी। जब ऑटो से उतरे तो सामान निकाल लिया, लेकिन पैसों से भरी थैली लेना भूल गए।
आधे घंटे बाद मिलिंद को पैसों की याद आई। तीन घंटे भटकते रहे। उस दौरान ऑटो चालक सलीम शेख घर पहुंचे और ऑटो पार्क वक्त उन्हें वो थैली दिखी। लाखों रुपये देखकर भी सलीम का ईमान नहीं डोला। उन्होंने थैली में मौजूद कागज़ातों से मिलिंद का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया और पैसे लौटाकर आए।
बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है।
सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है।
दरअसल, भिवंडी से काल्हेर जाने के लिए मिलिंद अंबावने सलीम शेख के ऑटो पर सवार हुए। मिलिंद अपने दोस्त के साथ मिलकर एक नई दुकान खोलने वाले थे, इसलिए साथ में दस सालों की कमाई 1 लाख 60 हज़ार रुपये, ज़रूरी कागज़ात और कुछ सामान भी था। ऑटो में बैठकर उन्होंने सामान आगे रखा, लेकिन नोटों से भरी थैली ऑटो के पीछे रख दी। जब ऑटो से उतरे तो सामान निकाल लिया, लेकिन पैसों से भरी थैली लेना भूल गए।
आधे घंटे बाद मिलिंद को पैसों की याद आई। तीन घंटे भटकते रहे। उस दौरान ऑटो चालक सलीम शेख घर पहुंचे और ऑटो पार्क वक्त उन्हें वो थैली दिखी। लाखों रुपये देखकर भी सलीम का ईमान नहीं डोला। उन्होंने थैली में मौजूद कागज़ातों से मिलिंद का नंबर निकालकर उन्हें फोन किया और पैसे लौटाकर आए।
बाद में सलीम ने हमें बताया कि थैली पीछे छूट गई थी। घर गया तो देखा कि थैली रखी हुई है। मैंने उनको फोन करके बुलाया और पैसे वापस कर दिए। इतने पैसे थे, मुझे लगा कि ज़रूर किसी काम के लिए निकाले होंगे, इसलिए मेरे दिल में कोई खोट नहीं आया। मैंने उनको बुलाया और पैसे वापस कर दिए। किसी के मेहनत का पैसा है।
सलीम की ईमानदारी से मिलिंद ने तो राहत की सांस ली है, साथ ही वो भरोसा भी बरकरार रहा कि दुनिया में ईमानदारी अभी भी क़ायम है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं