यह ख़बर 29 अप्रैल, 2014 को प्रकाशित हुई थी

99 साल तक गलत छपती रही ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी...

मेलबर्न:

एक ऑस्ट्रेलियाई विज्ञानी ने दुनियाभर में मशहूर ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी (Oxford English Dictionary) की ऐसी गलती पकड़ी है, जो पिछले 99 साल में किसी की नज़र में नहीं आई थी, और इस वजह से ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी को साइफन (Siphon) की परिभाषा बदलनी पड़ी है...

शोधकर्ताओं के अनुसार, अंग्रेज़ी की ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में लगभग एक शताब्दी तक गलत जानकारी दी जाती रही कि एक साइफन के पीछे गुरुत्वाकर्षण नहीं, हवा का दबाव काम करता है... वर्ष 2010 में क्वीन्सलैण्ड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी (Queensland University of Technology) के डॉ स्टीफन ह्यूजेस (Dr Stephen Hughes) ने इस गलती को पकड़ा...

इसके बाद डॉ स्टीफन ह्यूजेस ने एक हाइपोबैरिक चैम्बर (Hypobaric Chamber) में साइफन और बैरोमीटर (Barometer) की सीमाएं जांचने के लिए एक प्रयोग किया, जिसमें ज़्यादा ऊंचाई का प्रभाव (effects of high altitude) बनाया जा सकता है... इस चैम्बर के भीतर डेढ़ मीटर की ऊंचाई पर एक साइफन तैयार किया गया, और जब दबाव को 40,000 फुट की ऊंचाई के बराबर किया गया, साइफन के शीर्ष पर एक फव्वारा बन गया, परन्तु पानी का प्रवाह लगभग समान बना रहा...

शोधकर्ताओं के अनुसार, ऊंचाई को 41,000 फुट ले जाने पर फव्वारा पानी की दो धाराओं में बंट गया, लेकिन जब इसे 40,000 फुट पर वापस लाया गया, यह इस तरह पहले जैसा हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो... माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) से भी 10,000 फुट ज़्यादा ऊंचाई वाले 40,000 फुट पर हवा का दबाव समुद्रतल पर मौजूद दबाव की तुलना में लगभग 18 प्रतिशत रह जाता है...

प्रयोग के लिए एक ट्यूब के जरिये एक-दूसरे से जुड़ी दो बाल्टियां रखी गईं, जिनमें एक को दूसरे की तुलना में ऊंचा रखा गया... इसके बाद एक पूल पम्प के जरिये पानी को निचली बाल्टी से ऊंचाई पर रखी बाल्टी में भेजा गया... डॉ स्टीफन ह्यूजेस के मुताबिक, "यह तथ्य कि ऊंची तथा निचली बाल्टियों में पानी का स्तर स्थिर रहा, यह संकेत देता है कि हवा का दबाव पानी को साइफन में नहीं धकेल रहा है..."

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डॉ स्टीफन ह्यूजेस के मुताबिक, उनके द्वारा गलती पकड़े जाने पर ऑक्सफोर्ड इंग्लिश डिक्शनरी ने उसमें सुधार किया है, तथा हवा के दबाव का ज़िक्र हटा दिया है, लेकिन फिर भी नई परिभाषा पूरी तरह स्पष्ट नहीं है... डॉ ह्यूजेस की यह खोज विज्ञान जर्नल 'साइंटिफिक रिपोर्ट्स' में प्रकाशित हुई है...