सिडनी:
प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल में पढ़ने वाले और शहरों में रह रहे अधिकांश ऑस्ट्रेलियाई बच्चे सोचते हैं कि कॉटन सॉक्स जानवरों से मिलती है और एक तिहाई का मानना है कि दही पेड़ों से मिलती है। एक सर्वेक्षण में यह खुलासा किया गया है और साथ ही शहरी और ग्रामीण परिवेश के बीच बढ़ती दूरी को लेकर भी चेतावनी दी गई है।
ऑस्ट्रेलियाई कौंसिल फोर एजुकेशनल रिसर्च (एसीईआर) द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में छठी और दसवीं कक्षा के एक हजार बच्चों को शामिल किया गया और पाया गया कि उनमें खाद्य प्रसंस्करण को लेकर काफी भ्रांतियां हैं।
सर्वेक्षण से यह चौंकाने वाले नतीजे भी मिले हैं जो बताते हैं कि अधिसंख्यक शहरी बच्चों को पता है कि आलू की चिप्स और कॉफी कहां से आती है लेकिन 10 से 12 साल के करीब 20 फीसदी बच्चों को लगता है कि पास्ता जानवरों से और अंडे पौधों से मिलते हैं। करीब 75 फीसदी बच्चों ने कहा कि कॉटन सॉक्स एक पशु उत्पाद है और 27 फीसदी कहते हैं कि दही पौधों से मिलती है ।
सर्वे में कहा गया है , ‘‘बच्चे ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं लेकिन ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच खाई बढ़ती जा रही है।’’
ऑस्ट्रेलियाई कौंसिल फोर एजुकेशनल रिसर्च (एसीईआर) द्वारा करवाए गए सर्वेक्षण में छठी और दसवीं कक्षा के एक हजार बच्चों को शामिल किया गया और पाया गया कि उनमें खाद्य प्रसंस्करण को लेकर काफी भ्रांतियां हैं।
सर्वेक्षण से यह चौंकाने वाले नतीजे भी मिले हैं जो बताते हैं कि अधिसंख्यक शहरी बच्चों को पता है कि आलू की चिप्स और कॉफी कहां से आती है लेकिन 10 से 12 साल के करीब 20 फीसदी बच्चों को लगता है कि पास्ता जानवरों से और अंडे पौधों से मिलते हैं। करीब 75 फीसदी बच्चों ने कहा कि कॉटन सॉक्स एक पशु उत्पाद है और 27 फीसदी कहते हैं कि दही पौधों से मिलती है ।
सर्वे में कहा गया है , ‘‘बच्चे ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था और समाज में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं लेकिन ग्रामीण और शहरी समुदायों के बीच खाई बढ़ती जा रही है।’’
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