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ट्रेन रुकने पर नहीं खुला दरवाज़ा, गुस्साए यात्रियों ने तोड़ डाला अंत्योदय एक्सप्रेस का गेट, यूजर्स बोले- चोर, डकैतों के दिन वापस आ रहे

क्लिप में दिखाया गया है कि मुंबई जाने वाली ट्रेन के बंद दरवाजों से परेशान यात्री प्रवेश द्वार के शीशे को पत्थरों से तोड़ रहे हैं.

ट्रेन रुकने पर नहीं खुला दरवाज़ा, गुस्साए यात्रियों ने तोड़ डाला अंत्योदय एक्सप्रेस का गेट, यूजर्स बोले- चोर, डकैतों के दिन वापस आ रहे
ट्रेन रुकने पर नहीं खुला दरवाज़ा, गुस्साए यात्रियों ने तोड़ डाला अंत्योदय एक्सप्रेस का गेट

Antyodaya Express Viral Video: आजकल भारत में ज्यादातर रेल यात्री ट्रेनों की खराब स्थिति को दिखाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं, जिसमें ज्यादा भीड़ और बिना टिकट यात्रियों द्वारा सीटों पर कब्जा करने की समस्या सामने आ रही है. यह समस्या उन यात्रियों के लिए काफी असुविधा और निराशा पैदा कर रही है जिन्होंने रिजर्वेशन के लिए भुगतान किया है. अब, उत्तर प्रदेश के बस्ती रेलवे स्टेशन पर गुस्साए यात्रियों के एक समूह द्वारा अंत्योदय एक्सप्रेस ट्रेन में तोड़फोड़ करने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. एक्स पर शेयर की गई क्लिप में दिखाया गया है कि मुंबई जाने वाली ट्रेन के बंद दरवाजों से परेशान यात्री प्रवेश द्वार के शीशे को पत्थरों से तोड़ रहे हैं और अंदर घुसने के लिए खिड़की के शीशे की लोहे की ग्रिल को तोड़ने की कोशिस कर रहे हैं.

एक्स पर शेयर किए गए वीडियो के कैप्शन में लिखा है, ''मनकापुर रेलवे स्टेशन पर 15101 अंत्योदय एक्सप्रेस का गेट न खुलने से नाराज यात्रियों ने कोच पर पथराव कर दिया, जिससे ट्रेन का शीशा टूट गया और ट्रेन में भगदड़ मच गई, ट्रेन छपरा से मुंबई जा रही थी.'' 

क्लिप में एक शख्स को एक यात्री के हाथ से एक बड़ा पत्थर लेते हुए और ट्रेन के बंद दरवाजे पर लगे शीशे को तोड़ते हुए दिखाया गया है, जबकि अन्य लोग खिड़की के शीशे की लोहे की ग्रिल को तोड़ रहे हैं. सामने आने के बाद से इस वीडियो पर हजारों लाइक्स और कमेंट्स आ चुके हैं. जहां कुछ यूजर्स ने यात्री सुरक्षा पर चिंता व्यक्त की, वहीं अन्य ने समान अनुभव साझा किए.

वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए, एक यूजर ने लिखा, "इस दर पर डकैत हमारी ट्रेनों में बिना किसी परेशानी के घूमेंगे. जब उनके पास टिकट नहीं है तो वे यात्री नहीं हैं. ट्रेनों को सुरक्षित रखने के लिए सदियों से लगातार कानून लागू करने की आवश्यकता है, लेकिन हाल ही में लापरवाही के कारण हम उसी स्थिति में जा रहे हैं जो डकैतों और चोरों के दिनों में थी." 

दूसरे ने कमेंट किया, "एक बार देर रात मेरे साथ ऐसा हुआ, मैंने सीट आरक्षित कराई थी, लेकिन अंदर मौजूद यात्रियों ने गेट बंद कर दिया था और अनुरोध करने के बावजूद गेट खोलने की जहमत नहीं उठाई, बल्कि जानबूझकर टाल दिया." तीसरे यूजर ने लिखा, "आप जो चाहें कहें, लेकिन मैं कहूंगा कि जब भी मैं ट्रेन से उत्तर की यात्रा करता हूं तो मुझे हमेशा दर्दनाक अनुभव होता है. बुनियादी नागरिक भावना को समझने में कम से कम 50 साल और लगेंगे." एक अन्य ने लिखा, "बिहार और झारखंड से होकर जाने वाली किसी भी ट्रेन को तुरंत रोका जाना चाहिए, क्योंकि वे हंगामा करते हैं और उनके कारण टिकट धारक ट्रेन में चढ़ भी नहीं पाते हैं, सीट पर बैठना एक अलग मुद्दा था."

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