प्रतीकात्मक फोटो
बूंदी:
राजस्थान के बूंदी गांव में अगर आप को सुनाई दे कि राष्ट्रपति बकरी चराने गए हैं या प्रधानमंत्री घर का सामान लेने शहर गए हैं तो आश्चर्य चकित होने की जरूरत नहीं है दरअसल यहां के लोगों को पदों के नाम, मोबाइल कंपनी के नाम यहां तक की अदालतों के नाम पर आपने बच्चों के नाम रखने का शौक है. इस जिले में डाक्टर के पास आने वाले यह कहते भी दिखाई देते हैं कि सैमसंग या एंडरॉयड को पेचिश की शिकायत है. उच्च पदों, कार्यालयों, मोबाइल ब्रैंड और एसेसिरीज पर नाम रखना यहां बहुत ही आम बात है. राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेमसंग और एंड्रायड के अलावा सिम कार्ड, चिप, जिओनी, मिस कॉल, राज्यपाल और हाई कोर्ट जैसे अनेक अजीबो गरीब नामों की भरमार है.
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर रामनगर गांव में कंजड समुदाय की आबादी 500 से थोड़ा अधिक है और इनमें इस तरह के नामों का प्रचलन काफी है. आमतौर पर ये लोग अशिक्षित हैं लेकिन इनके नाम कोई और ही कहानी बयां करते हैं. जिला कलेक्टर की आभा से प्रभावित एक महिला ने अपने बच्चे का नाम कलेक्टर ही रख दिया ये और बात है कि 50 वर्षीय कलेक्टर आज तक स्कूल नहीं गया. गांव के एक सरकारी स्कूल के अध्यापक ने कहा, "गांव के अधिकतर लोग गैरकानूनी कामों में लिप्त रहते हैं और इस कारण पुलिस थानों और कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते हैं. अधिकारियों के रुतबे से प्रभावित हो कर ये लोग अक्सर अपने बच्चों के नाम आईजी, एसपी, हवलदार और मजिस्ट्रेट रख लेते हैं."
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रशंसक कांग्रेस ने अपने परिजन के नाम सोनिया, राहुल और प्रियंका रखे हैं. शारीरिक रूप से अक्षम एक व्यक्ति का नाम हाई कोर्ट है और तीखे स्वभाव के कारण वह गांवभर में मशहूर है. उसके जन्म के समय उसके बाबा को आपराधिक मामले में उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी तो उसका नाम हाई कोर्ट रख दिया गया. नैनवां गांव में रहने वाले मोगिया और बंजारा समुदाय के लोग अपने बच्चों के नाम मोबाइल और एसेसेरीज के नाम पर रखते हैं. अरनिया गांव में मीणा समुदाय में महिलाओं और लड़कियों के नाम नमकीन, फोटोबाई,जेलेबी, मिठाई और फालतू आदि मिल जाएंगे. नैनवा के समुदायिक स्वास्थ केन्द्र में सरकारी कर्मचारी रमेश चंद्र राठौर ने कहा,‘‘नामों के पंजीकरण के दौरान हम ये नाम सुन कर हैरान रह गए लेकिन अब तो हमें इनकी आदत हो गई है."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जिला मुख्यालय से 10 किलोमीटर दूर रामनगर गांव में कंजड समुदाय की आबादी 500 से थोड़ा अधिक है और इनमें इस तरह के नामों का प्रचलन काफी है. आमतौर पर ये लोग अशिक्षित हैं लेकिन इनके नाम कोई और ही कहानी बयां करते हैं. जिला कलेक्टर की आभा से प्रभावित एक महिला ने अपने बच्चे का नाम कलेक्टर ही रख दिया ये और बात है कि 50 वर्षीय कलेक्टर आज तक स्कूल नहीं गया. गांव के एक सरकारी स्कूल के अध्यापक ने कहा, "गांव के अधिकतर लोग गैरकानूनी कामों में लिप्त रहते हैं और इस कारण पुलिस थानों और कोर्ट कचहरी के चक्कर काटते हैं. अधिकारियों के रुतबे से प्रभावित हो कर ये लोग अक्सर अपने बच्चों के नाम आईजी, एसपी, हवलदार और मजिस्ट्रेट रख लेते हैं."
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रशंसक कांग्रेस ने अपने परिजन के नाम सोनिया, राहुल और प्रियंका रखे हैं. शारीरिक रूप से अक्षम एक व्यक्ति का नाम हाई कोर्ट है और तीखे स्वभाव के कारण वह गांवभर में मशहूर है. उसके जन्म के समय उसके बाबा को आपराधिक मामले में उच्च न्यायालय से जमानत मिली थी तो उसका नाम हाई कोर्ट रख दिया गया. नैनवां गांव में रहने वाले मोगिया और बंजारा समुदाय के लोग अपने बच्चों के नाम मोबाइल और एसेसेरीज के नाम पर रखते हैं. अरनिया गांव में मीणा समुदाय में महिलाओं और लड़कियों के नाम नमकीन, फोटोबाई,जेलेबी, मिठाई और फालतू आदि मिल जाएंगे. नैनवा के समुदायिक स्वास्थ केन्द्र में सरकारी कर्मचारी रमेश चंद्र राठौर ने कहा,‘‘नामों के पंजीकरण के दौरान हम ये नाम सुन कर हैरान रह गए लेकिन अब तो हमें इनकी आदत हो गई है."
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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