प्रतीकात्मक फोटो
तोक्यो:
जापान के वैज्ञानिकों ने मूत्र से संचालित होने वाला एक ऐसा सेंसर तैयार किया है, जो डाइपर गीला होने पर बच्चे की देखभाल कर रहे लोगों को अलर्ट कर सकता है. इससे उन्हें पता चल जाएगा कि बच्चे का डाइपर बदलने का समय आ गया है.
जापान की रित्सूमिकान यूनिवर्सिटी का एक दल लगभग पांच साल से डाइपर पर काम कर रहा था. इसका मूल उद्देश्य उन बुजुर्गों की उचित देखभाल है, जो कपड़ों में ही मूत्र निकल जाने की समस्या से परेशान हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डाइपर के लिए उपयुक्त सेंसर बनाना एक चुनौती रहा.
उन्होंने पहले एक ऐसा यूरिन सेंसर बनाया था, जिसे डाइपर में लगाना बहुत मुश्किल था. इस सेंसर में ऐसा रसायन था, जो इंसानों के लिए असुरक्षित हो सकता था और इसकी बैटरी में लगने वाला समय सुनिश्चित नहीं था.
‘गिज्मोदो’ की खबर के अनुसार, नया डाइपर सेंसर इन सभी समस्याओं का निवारण करता है क्योंकि इसमें लगी बैटरी मूत्र से संचालित होती है।
ये बैटरियां एक विद्युत अपघट्य द्वारा पृथक दो इलेक्ट्रोडों के आधार पर संचालित होती हैं. वैज्ञानिकों ने एक फेंकने योग्य डाइपर में दो लचकदार इलेक्ट्रोड लगाकर परीक्षण किया.
बैटरी को एक छोटे संधरित्र :कैपसिटर: से जोड़ा गया है, जो पैदा हुई बिजली को संग्रहित कर रख सकता है. इसके अलावा एक ट्रांसमीटर लगा है, जो 16 फुट दूर तक मौजूद किसी रिसीवर को संकेत दे सकता है. इस अनुसंधान को आईईईई सेंसर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
जापान की रित्सूमिकान यूनिवर्सिटी का एक दल लगभग पांच साल से डाइपर पर काम कर रहा था. इसका मूल उद्देश्य उन बुजुर्गों की उचित देखभाल है, जो कपड़ों में ही मूत्र निकल जाने की समस्या से परेशान हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि डाइपर के लिए उपयुक्त सेंसर बनाना एक चुनौती रहा.
उन्होंने पहले एक ऐसा यूरिन सेंसर बनाया था, जिसे डाइपर में लगाना बहुत मुश्किल था. इस सेंसर में ऐसा रसायन था, जो इंसानों के लिए असुरक्षित हो सकता था और इसकी बैटरी में लगने वाला समय सुनिश्चित नहीं था.
‘गिज्मोदो’ की खबर के अनुसार, नया डाइपर सेंसर इन सभी समस्याओं का निवारण करता है क्योंकि इसमें लगी बैटरी मूत्र से संचालित होती है।
ये बैटरियां एक विद्युत अपघट्य द्वारा पृथक दो इलेक्ट्रोडों के आधार पर संचालित होती हैं. वैज्ञानिकों ने एक फेंकने योग्य डाइपर में दो लचकदार इलेक्ट्रोड लगाकर परीक्षण किया.
बैटरी को एक छोटे संधरित्र :कैपसिटर: से जोड़ा गया है, जो पैदा हुई बिजली को संग्रहित कर रख सकता है. इसके अलावा एक ट्रांसमीटर लगा है, जो 16 फुट दूर तक मौजूद किसी रिसीवर को संकेत दे सकता है. इस अनुसंधान को आईईईई सेंसर्स नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है.
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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