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This Article is From Nov 19, 2015

30 के बाद मां बनने पर संतान, खासकर बेटियों में, अवसाद का खतरा

30 के बाद मां बनने पर संतान, खासकर बेटियों में, अवसाद का खतरा
प्रतीकात्मक तस्वीर
सिडनी: 30 साल या उससे अधिक आयु में मां बनने वाली महिलाओं की संतान खासकर बेटियों में युवावस्था के दौरान डिप्रेशन में जाने की संभावना होती है। एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।

यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की वैज्ञानिक और मुख्य लेखिका जेसिका टीयर्न ने कहा, इस अध्ययन से पता चला है कि युवा महिलाओं का अवसाद और तनाव से ग्रसित होना उनके जन्म के कारकों जैसे उनके जन्म के समय उनकी मां की आयु 30 या उससे अधिक होने पर निर्भर करता है।

इसके लिए शोधार्थियों ने वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया प्रेग्नेंसी कोहॉर्ट अध्ययन के आकड़ों का विश्लेषण किया। इस अध्ययन में 1989 से 1991 के बीच गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया था, जिन्हें साइकोलॉजिकल और डेमोग्राफिक जानकारी भी दी गई थी। इसके परिणामस्वरूप अगले 23 सालों में विभिन्न आयु के दौरान उनकी बेटियों का मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन किया गया।

शोधार्थियों ने उन महिलाओं की 1,200 बेटियों द्वारा 20 साल तक की उम्र में अवसाद और तनाव के विभिन्न लक्षणों का अध्ययन किया और जन्म के वक्त उनके माता-पिता की आयु की तुलना की।

बेटियों को जन्म देने के समय जिन मांओं की आयु 30-34 साल के बीच थी, उनकी बेटियों में 30 वर्ष से कम आयु में जन्म देने वाले मांओं की बेटियों की तुलना में ज्यादा अवसाद देखा गया।

वहीं 20 साल से कम उम्र में जन्म देने वाली 5 प्रतिशत महिलाओं का उनकी बेटियों पर कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला। यह अध्ययन पत्रिका 'अबनार्मल साइकोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।

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