
Chennai sweet seller: चेन्नई की भीड़भाड़ वाली लोकल ट्रेन में एक 80 वर्षीय बुजुर्ग मिठाई बेचते नज़र आए. उनके हाथ में एक छोटा सा पर्चा था, जिस पर लिखा था, श्री राघवेंद्र घर में बनी मीठी बोली (Sri Ragavendra Home Made Sweet Boli) 2 पीस 25 रुपये, अधिरसम (Adhirasam) 1 पीस 10 रुपये में. इस तस्वीर ने इंटरनेट पर तहलका मचा दिया और बुजुर्ग दंपत्ति की कहानी ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया.
बेटी ने छोड़ा, पर हिम्मत ने थामा (Old couple selling sweets Chennai)
पोस्ट के मुताबिक, श्री राघवेंद्र और उनकी पत्नी को उनकी बेटी ने छोड़ दिया, जो अब लंदन में रहती है. अपने बुढ़ापे में सहारे की उम्मीद रखने वाले माता-पिता अब खुद मेहनत कर गुज़ारा कर रहे हैं. उनकी 70 वर्षीय पत्नी घर पर मिठाई तैयार करती हैं और वे रोज़ ट्रेन में जाकर उसे बेचते हैं. दर्दनाक सच यह है कि अपनों से छोड़े जाने के बावजूद उन्होंने आत्मसम्मान से जीने का रास्ता चुना.
'ये मिठाई नहीं, हिम्मत का स्वाद है…'(80 year old man selling sweets viral)
सोशल मीडिया पर वायरल इस पोस्ट ने लाखों दिलों को छुआ. एक यूजर ने लिखा, ये सिर्फ मीठे पोलि नहीं हैं, बल्कि आत्मसम्मान और संघर्ष का स्वाद है. हर बाइट में बुजुर्गों की मजबूती और गरिमा छिपी है. दूसरे ने लिखा, कृपया इन्हें फोन कॉल से परेशान न करें. अगर कोई लोकल जानता हो कि ये किस रूट पर बेचते हैं, तो जानकारी शेयर करे.
Polis, Sweets & Tears behind every bite ❤️ 😭 “Today, my heart broke when I saw an 80-year-old got pushed into hardship. Abandoned by his own daughter who now lives in London, he has taken up selling sweets and polis on the busy trains of Chennai, to support himself and his… pic.twitter.com/6wpuOzpwwk
— Dr Mouth Matters (@GanKanchi) September 9, 2025
मदद की अपील और सबक भी (Chennai Ragavendra sweet poli)
कुछ लोगों ने मिलकर उन्हें आर्थिक मदद करने का सुझाव दिया. वहीं एक यूजर ने चेतावनी भरे अंदाज़ में लिखा, रिटायरमेंट सेविंग्स कभी बच्चों के भरोसे मत छोड़िए. उन्हें पढ़ाइए, सहारा दीजिए, पर अपना बुढ़ापा सुरक्षित रखिए. इस चर्चा ने सिर्फ संवेदनशीलता ही नहीं जगाई, बल्कि समाज को एक बड़ा सबक भी दिया.
सिर्फ एक कहानी नहीं, पूरी पीढ़ी का सवाल (Chennai local train viral news)
80 वर्षीय राघवेंद्र की कहानी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस बदलते समाज की तस्वीर है, जहां लाखों बुजुर्ग अकेले पड़ रहे हैं. भारत तेज़ी से उम्रदराज़ होती आबादी की ओर बढ़ रहा है और आने वाले दशक में old-age care एक बड़ा सामाजिक मुद्दा बनने वाला है. यह कहानी हमें याद दिलाती है कि माता-पिता का सम्मान और उनकी देखभाल कोई विकल्प नहीं, बल्कि कर्तव्य है.
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