भारत में राम अच्छाई के प्रतीक माने जाते हैं और रावण बुराई का. लेकिन इसी भारत में जहां राम लोगों के आदर्श और पूजनीय हैं वहां कई जगह हैं जहां रावण भी लोगों का आराध्य है. रावण भले ही एक राक्षस था लेकिन उसके ज्ञान को स्वयं भगवान राम ने भी माना था. रावण को मारने के बाद राम ने उसे उसके ज्ञान के लिए झुककर प्रणाम किया था. आज हम आपको बताते हैं देश की उन 8 जगहों के बारे में जिनका संबंध कालांतर में रावण से रहा है. यहां लोग रावण की पूजा करते हैं और दशहरा पर उसका पुतला फूंकने की परंपरा भी नहीं निभाते.
बिसरख, उत्तर प्रदेश
उत्तरप्रदेश में ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव के बारे में मान्यता है कि यहीं रावण का जन्म हुआ था. बताया जाता है कि यहां उनके पिता ऋषि विश्रवा का आश्रम था और उन्हीं के नाम पर इस गांव का नाम पहले विश्वेशरा पड़ा था और अब इसे बिसरख के नाम से जाना जाता है. जहां ऋषि विश्रवा का आश्रम था वहां वर्तमान में अष्टभुजीय शिवलिंग है. बताया जाता है कि इसकी स्थापना स्वयं रावण ने की थी. इतना ही नहीं इस शिवलिंग की गहराई का आज तक पता नहीं लगाया जा सका है. बिसरख में रावण पूजनीय है यही वजह है यहां विजयादशमी के दिन रावण दहन नहीं किया जाता.
कानपुर, उत्तर प्रदेश
कानपुर के शिवाला में रावण का एक मंदिर है, जिसे दशानन मंदिर के नाम से जाना जाता है. साल में एक बार ही इस मन्दिर के पट खुलते है वो भी दशहरा वाले दिन. बाकी साल भर मंदिर बंद रहता है. शहर के बीचो-बीच शिवाला स्थित कैलाश मंदिर में दशानन के इस सैकड़ो वर्ष पुराने मन्दिर में दशहरा के दिन काफी भीड़ जुटती है और विशेष पूजा की जाती है.
विदिशा, मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के विदिशा शहर में रावणग्राम दशानन की पूजा के लिए प्रसिद्ध है. विदिशा के रावणग्राम में रावण का एक मंदिर है और यहां रावण की दस फुट लंबी प्रतिमा भी है. दशहरा के दिन यहां रावण की विशेष पूजा की जाती है. इस दिन रावण की नाभि में रूई से तेल लगाया जाता है. माना जाता है ऐसा करने से रावण के नाभि में जो तीर लगा था उसका दर्द कम होगा और रावण गांव में खुशहाली देंगे.
चिखली, मध्य प्रदेश
महाकाल की नगरी उज्जैन के पास एक गांव है चिखली. यहां भी रावण का दहन नहीं किया जाता, बल्कि उसकी पूजा की जाती है. यहां के बारे में कहा जाता है, कि रावण की पूजा नहीं करने पर गांव जलकर राख हो जाएगा. इसी डर से ग्रामीण यहां रावण दहन नहीं करते और उसकी मूर्ति की पूजा करते हैं.
मंदसौर, मध्य प्रदेश
मध्यप्रदेश के मंदसौर में भी रावण को पूजने की परंपरा है. मंदसौर का असली नाम दशपुर था, और माना जाता है यह रावण की धर्मपत्नी मंदोदरी का मायका था. इसलिए इस शहर का नाम मंदसौर पड़ा. चूंकि मंदसौर रावण का ससुराल था, और यहां की बेटी रावण से ब्याही गई थी, इसलिए यहां दामाद के सम्मान की परंपरा के कारण रावण के पुतले का दहन करने की बजाय उसे पूजा जाता है. मंदसौर के रूंडी में रावण की मूर्ति बनी हुई है, जिसकी पूजा की जाती है.
जोधपुर, राजस्थान
राजस्थान में जोधपुर के चांदपोल क्षेत्र में भी रावण का मंदिर और उसकी मूर्ति स्थापित है. कुछ समाज विशेष के लोग यहां पर रावण का पूजन करते हैं और खुद को रावण का वंशज मानते हैं. कहा जाता है यहीं रावण और मंदोदरी का विवाह हुआ था. आज भी रावण की चवरी नामक एक छतरी मौजूद है. शहर के रावण का मंदिर बनाया गया है.
बैजनाथ, हिमाचल प्रदेश
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा है. यहां बिनवा पुल के पास रावण का मंदिर है. इस मंदिर में एक शिवलिंग है और उसी के पास एक बड़े पैर का निशान है. कहा जाता है यहां रावण ने एक पैर पर खड़े होकर भगवान शिव की तपस्या तपस्या कर मोक्ष का वरदान प्राप्त किया था. इस शिव मंदिर के पूर्वी द्वार में खुदाई के दौरान एक हवन कुंड भी निकला था. मान्यता है कि इसी कुंड में रावण ने हवन कर अपने नौ सिरों की आहुति दी थी. माना जाता है कि इस क्षेत्र में रावण का पुतला जलाया गया तो उसकी मौत निश्चित है.
काकिनाड, आंध्र प्रदेश
पौराणिक कथाओं और किवदंतियों के अनुसार रावण ने आंध्र प्रदेश के काकिनाड में एक शिवलिंग की स्थापना की थी. वहां इसी शिवलिंग के निकट रावण की भी प्रतिमा स्थापित है. यहां का मछुआरा समुदाय शिव और रावण दोनों की पूजा करता है.