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This Article is From Nov 27, 2013

आरुषि मामले में तलवार दम्पति को सजा सुनाए जाने के 26 कारण

आरुषि मामले में तलवार दम्पति को सजा सुनाए जाने के 26 कारण
गाजियाबाद:

न्यायाधीश श्यामलाल ने आरुषि और घरेलू सहायक हेमराज की हत्या मामले में राजेश तलवार और नूपुर तलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 26 कारण रेखांकित करते हुए मंगलवार को कहा कि निश्चित तौर पर कोई सीधा सबूत नहीं है, लेकिन सीबीआई ने ‘ठोस परिस्थितिजन्य सबूत’ रखे हैं जिसके आधार पर तलवार दम्पति को हत्या मामले में दोषी ठहराया गया है।

210 पृष्ठों के फैसले में 26 परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जिसके आधार पर दम्पति को दोषी ठहराया गया है। फैसले में कहा गया, 'अभियोजन पक्ष ने मौखिक और दस्तावेज के रूप में जो सबूत रखे उससे अदालत इस प्रबल और त्रुटिहीन निष्कर्ष पर पहुंचा है कि दोनों आरोपी व्यक्ति ही इस अपराध को अंजाम देने के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि निम्न परिस्थितियां आरोपियों के अपराध की परिकल्पना की ओर इंगित करती हैं।

पहला यह कि तलवार के चालक उमेश शर्मा ने 15 और 16 मई 2008 की दरमियानी एवं उस दुर्भाग्यपूर्ण रात से पहले आरोपियों को दोनों पीड़ितों के साथ जलवायु विहार के फ्लैट नम्बर एल-32 में रात साढ़े नौ बजे आखिरी बार देखा था।

दूसरा, यह कि 16 मई 2008 को सुबह करीब छह बजे आरुषि आरोपियों के शयनकक्ष के बगल स्थित अपने शयनकक्ष में मृत मिली थी और दोनों कमरों के बीच सिर्फ एक दीवार ही थी।

तीसरा नौकर हेमराज का शव 17 मई 2008 फ्लैट नम्बर एल-32 की छत पर मिला था जिसके चारों ओर खून फैला हुआ था। छत का ताला अंदर से बंद मिला।

न्यायाधीश ने अन्य कारणों का उल्लेख करते हुए कहा कि चौथा कारण यह बताया कि जिस समय दोनों आरोपियों और पीड़ितों को आखिरी बार देखा गया और 15 और 16 मई 2008 को जब उनकी हत्या हुई, उसके बीच समय का अंतर बहुत कम है इसलिए आरोपियों के अलावा अन्य किसी के द्वारा अपराध को अंजाम देना असंभव है। पांचवां यह कि आरुषि के शयनकक्ष के दरवाजे में खुद ही बंद होने वाला ताला लगा हुआ था। नोएडा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक (शहर) महेश कुमार ने कहा था कि 16 मई 2008 की सुबह उन्होंने राजेश तलवार से बात की, वह आरुषि के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद करके सोने गए थे। दोनों आरोपियों ने स्वीकार किया है कि आरुषि के शयनकक्ष में होटल की तरह खुद ब खुद बंद होने वाला ताला लगा हुआ था। उसे बाहर से बिना चाबी के नहीं खोला जा सकता, लेकिन उसे अंदर से बिना चाबी के खोला जा सकता था। इस बारे में आरोपियों द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि आरुषि के कमरे का दरवाजा कैसे खुला और किसने खोला।

छठा कारण यह कि उस रात में इंटरनेट चालू था जिससे यह बात स्पष्ट होती है कि आरोपियों में से एक जगा हुआ था। यह कि यह दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है कि रात के साढ़े नौ बजे के बाद कोई भी बाहरी व्यक्ति घर के भीतर आया।

यह कि उस रात को बिजली आपूर्ति में कोई बाधा नहीं थी। रात के समय किसी भी व्यक्ति को फ्लैट के पास संदिग्ध परिस्थिति में घूमते हुए नहीं देखा गया।

यह कि घटना वाले दिन किसी भी बाहरी व्यक्ति के फ्लैट में जबर्दस्ती प्रवेश करने का कोई सबूत नहीं है। फ्लैट में चोरी का कोई सबूत नहीं है। यह कि 16 मई 2008 की सुबह जब नौकरानी फ्लैट की सफाई के लिए आई तो नूपुर तलवार ने झूठा बहाना बनाया कि हो सकता है कि नौकर हेमराज ने दरवाजा बाहर से बंद कर दिया हो जबकि ताला बाहर से बंद नहीं था।

यह कि घरेलू नौकरानी भारती मंडल ने कहीं भी यह नहीं कहा कि जब वह घर के भीतर आई तो दोनों आरोपी रो रहे थे। इसके साथ ही कई अन्य कारण का उल्लेख किया गया है।

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