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This Article is From Apr 12, 2017

साहब गेंदबाजी से नहीं..! 20वें ओवर से डर लगता है

साहब गेंदबाजी से नहीं..! 20वें ओवर से डर लगता है
मुंबई इंडियंस के खिलाफ पारी के अंतिम ओवर में अशोक डिंडा ने 30 रन लूटा दिए.
नई दिल्ली: कहते हैं पारी का अंतिम ओवर हर लिहाज से महत्वपूर्ण होता है. एक बड़ा ओवर विपक्षी टीम के पक्ष में मोमेंटम शिफ्ट कर सकता है, तो कुछ विकेट और कंजूसी भरे ओवर से गेंदबाजी कर रही टीम का बल्लेबाजी से पहले हौंसला बढ़ जाता है. पुणे की टीम के लिए 20वां ओवर करने वाला गेंदबाज 'खलनायक' साबित हो रहा है. आईपीएल के 10वें संस्करण को शुरू हुए करीब डेढ़ सप्ताह बीत चुके हैं. इस दौरान कुल नौ मैच खेले जा चुके हैं, जिसमें  राइजिंग पुणे सुपरजाएंट्स ने तीन मैच खेले हैं. पुणे के स्कोरकार्ड पर नजर डालें तो पता चलता है कि टीम के गेंदबाजों के लिए मैच का आखिरी ओवर किसी बुरे सपने से कम नहीं साबित हुआ है. पुणे के कप्तान ने अंतिम दोनों मैचों में अशोक डिंडा और बेन स्टोक्स पर भरोसा जताया और 20वां ओवर फेंकने का मौका दिया. इस दौरान डिंडा और स्टोक्स टीम के लिए हीरो बनने के बजाय खलनायक साबित हुए.

मुंबई इंडियंस के खिलाफ पारी के अंतिम ओवर में अशोक डिंडा ने 30 रन लूटा दिए. दिल्ली डेयरडेविल्स के खिलाफ पारी के अंतिम ओवर में बेन स्टोक्स ने 23 रन दिए.

'डेथ ओवर्स में गेंदबाजी के लिए मानसिक मजबूती जरूरी'

इससे पहले टीम इंडिया के अनुभवी तेज गेंदबाज आशीष नेहरा 36 वर्ष की 37 वर्ष की उम्र में भी आईपीएल-10 में अपनी टीम सनराइजर्स हैदराबाद के प्रमुख गेंदबाज हैं. उनका मानना है कि डेथ ओवरों में गेंदबाजी के लिये गेंदबाज को मानसिक रूप से मजबूत होना बेहद जरूरी है. आशीष नेहरा के अनुसार, डेथ ओवर्स में कई बार प्रारंभिक दो गेंदों पर ही आपको दो छक्‍के पड़ जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी अगर आप मानसिक रूप से दृढ़ हैं तो वापसी कर सकते हैं.

सनराइजर्स हैदराबाद के लिए खेलने वाले नेहरा ने कहा ,‘डेथ ओवरों को लेकर मेरी सीधी सोच है. सबसे पहले तो आपको मानसिक रूप से काफी दृढ़ होना होगा. कई बार मैंने देखा कि पहली गेंद पर छक्का पड़ जाता है और दूसरी पर भी.  इस स्थिति में आपके एक ओवर में 25-26 रन भी पड़ सकते हैं.’

उन्होंने कहा,‘यदि आप मानसिक रूप से मजबूत हैं तो पहली दो गेंद पर छक्के झेलने के बाद भी वापसी कर सकते हैं. इस स्थिति में भी आप विकेट ले सकते हैं या फिर 15 रन का ओवर फेंक सकते हैं. नेहरा के अनुसार,  ये 5-10 रन कई बार बड़ा फर्क पैदा कर देते हैं.’ वैसे, आशीष ने माना कि यॉर्कर फेंकना आसान नहीं है. उन्होंने कहा,‘हर किसी की मानसिकता अलग होती है. यॉर्कर शब्द मैंने टी20 क्रिकेट में सुना. हर कोई कहता है कि यॉर्कर फेंको. जिसने कभी गेंदबाजी नहीं की हो, उसे पता नहीं होता कि यॉर्कर फेंकने में क्या लगता है.’

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