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‘अमेरिका टैरिफ नहीं लगाता तो चीन टिकटॉक डील पर सहमत हो गया होता’: डोनाल्ड ट्रंप

भारत में बैन हो चुका यह बेहद लोकप्रिय वीडियो-शेयरिंग ऐप अमेरिका में भी बहुत फेमस है. इसके 170 मिलियन यानी 17 करोड़ से अधिक अमेरिकी यूजर्स हैं.

‘अमेरिका टैरिफ नहीं लगाता तो चीन टिकटॉक डील पर सहमत हो गया होता’: डोनाल्ड ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार, 6 अप्रैल को एक बड़ा दावा किया. उन्होंने कहा कि अगर अमेरिका ने पिछले हफ्ते चीन पर टैरिफ नहीं लगाया होता तो चीन टिकटॉक बेचने वाले समझौते पर सहमत हो गया होता. दरअसल अमेरिका ने तमाम देशों के साथ चीन से होने वाले आयातों पर 2 अप्रैल को अतिरिक्त 34 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया. ट्रंप ने टिकटॉक को साथ कहा है कि या तो वो किसी गैर-चीनी खरीदार को खोजे या फिर अमेरिका में प्रतिबंध का सामना करे. हालांकि टैरिफ लगाने के एक दिन बाद यानी शुक्रवार को टिकटॉक के लिए डेडलाइन बढ़ा दी, नया मालिक खोजने या कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए 75 दिन और मिल गए.

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने एयरोप्लेन, एयर फोर्स वन में मीडिया से बात करते हुए कहा,, "रिपोर्ट यह है कि हमने टिकटॉक के लिए एक डील किया था, डील पूरी नहीं हुई थी लेकिन हम काफी करीब थे. फिर चीन ने टैरिफ के कारण डील बदल दिया. अगर मैंने टैरिफ में थोड़ी कटौती की, तो वे 15 मिनट में उस डील को मंजूरी दे देंगे, जो आपको टैरिफ की ताकत दिखाता है."

गौरतलब है कि भारत में बैन हो चुका यह बेहद लोकप्रिय वीडियो-शेयरिंग ऐप अमेरिका में भी बहुत फेमस है. इसके 170 मिलियन यानी 17 करोड़ से अधिक अमेरिकी यूजर्स हैं. हालांकि पिछले साल पारित एक अमेरिकी कानून से यह खतरे में है. कानून कहता है कि या तो टिकटॉक अपने चीनी मालिक बाइटडांस से अलग हो जाए या अमेरिका में यह बंद हो जाएगा.

ट्रंप ने जोर देकर कहा था कि उनकी सरकार टिकटॉक के लिए खरीदार ढूंढने और इसे बंद होने से बचाने के लिए एक समझौते के करीब है, जिसमें कई निवेशक शामिल होंगे, लेकिन उन्होंने बहुत कम डिटेल्स दिए. टिकटॉक की मौजूदा मालिक कंपनी बाइटडांस ने यह पुष्टि की कि वह समाधान खोजने की दिशा में अमेरिकी सरकार के साथ बातचीत कर रही है. लेकिन साथ ही यह चेतावनी दी कि डील के लिए "महत्वपूर्ण मामले" बाकी हैं. कंपनी ने कहा, "समझौता लागू नहीं किया गया है" और जो भी निर्णय लिया गया वह "चीनी कानून के तहत अनुमोदन के अधीन होगा". यानी अगर चीन का कानून मंजूरी देगा तभी कोई डील फाइनल होगी.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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