एक पूर्व अमेरिकी राजनयिक ने पुष्टि की कि उत्तर कोरिया ने कथित रूप से उत्पीड़न के बाद कोमा में गए अमेरिकी छात्र को छोड़ने के लिए 20 लाख डॉलर मांगे थे और उनका मानना है कि अमेरिका को यह भुगतान करना चाहिए था.
अमेरिकी राजनयिक जोसेफ युन 22 वर्षीय ओट्टो वॉर्मबियर को लेने के लिए 2017 में प्योंगयांग गए थे. युन ने बताया कि उत्तर कोरिया ने वॉर्मबियर के चिकित्सकीय खर्चों के लिए एक बिल दिया था. उन्होंने बताया कि इसके बाद उन्होंने तत्कालीन विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन को इस संबंध में फोन किया था और उन्हें लगता है कि टिलरसन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से इसके लिए मंजूरी मांगी थी.
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युन ने सीएनएन को बताया कि टिलरसन ‘‘ने थोड़ी देर बाद फोन किया. उन्होंने मुझे हां में जवाब दिया और हस्ताक्षर करने को कहा.'' सबसे पहले ‘वॉशिंगटन पोस्ट' ने भुगतान की मांग संबंधी खबर दी थी. इसके बाद ट्रम्प ने स्वयं को अमेरिका के इतिहास में ‘‘बंधकों को रिहा कराने के लिए सबसे बड़ा वार्ताकार'' बताया था और ट्वीट किया था कि उत्तर कोरिया को कोई भुगतान नहीं किया गया.
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लेकिन युन ने कहा कि ट्रम्प के निर्णय का अर्थ है कि अमेरिका को भुगतान करना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस पर हस्ताक्षर करने चाहिए थे या नहीं, यह अलग मसला है.‘‘ लेकिन अगर आपने हस्ताक्षर किए हैं, अगर आपने अमेरिका सरकार की ओर से किसी अन्य सरकार को वादा किया है कि आप भुगतान करेंगे तो मेरा निश्चित तौर पर यह मानना है कि हमें हमारी प्रतिबद्धता पूरी करनी चाहिए.''
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उत्तर कोरिया की यात्रा पर गए वर्जीनिया यूनिवर्सिटी के छात्र वार्मबियर को अपने होटल से एक प्रचार पोस्टर ले जाने के आरोप में कारावास की सजा दी गई थी. चिकित्सकों ने बताया कि उत्तर कोरिया में हिरासत में उसे मस्तिष्क संबंधी गंभीर क्षति पहुंची और वह कोमा में चला गया था. अमेरिका पहुंचने के कुछ दिन बाद उसका निधन हो गया था.
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