बॉस्केटबॉल (प्रतीकात्मक)
वाशिंगटन:
अमेरिका के 40 से अधिक सांसदों के समूह ने अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल महासंघ से अपील की है कि वे पगड़ियों को लेकर सिख खिलाड़ियों के खिलाफ ‘घिसीपिटी और भेदभावपूर्ण’ नीति खत्म करे.
सांसदों ने अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल महासंघ (फिबा) के अध्यक्ष होरासियो मुरातोरी को पत्र में लिखा, ‘‘सिख दुनिया भर में कई खेलों में हिस्सा लेते हैं और एक भी ऐसी घटना नहीं है जिसमें पगड़ी के कारण किसी को चोट लगी हो या नुकसान पहुंचा हो या पगड़ी ने खेल में रूकावट डाली हो.’’ सांसद जो क्राली और भारतीय मूल की एमी बेरा की अगुआई में कल भेजे गए इस पत्र में 40 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह पत्र अंतरराष्ट्रीय महासंघ के संभावित फैसले से पहले लिखा गया है.
क्राली और एमी ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘प्रत्येक दिन फिबा इस पर फैसले को अगले दिन के लिए टाल रहा है कि सिख नहीं खेल सकते.’’
क्राली और एमी ने कहा, ‘‘यह ऐसी नीति है जिसे घिसीपिटी, भेदभावपूर्ण और टीम खेल की भावना के पूरी तरह विपरीत करार दिया जा सकता है और इसमें बदलाव का समय काफी पहले आ चुका है. इसलिए हम कार्रवाई के लिए जोर दे रहे हैं जिसमें हमारा नवीनतम पत्र भी शामिल है और हम उन सभी को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने अपनी आवाज उठाई. फिबा को हमारा संदेश साफ है, उन्हें खेलने दीजिए.’’
फिबा की यह भेदभावपूर्ण नीति 2014 में सामने आई थी जब दो सिख खिलाड़ियों को रैफरियों ने कहा था कि अगर उन्हें फिबा के एशिया कप में खेलना है तो उन्हें अपनी पगड़ी हटानी होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सांसदों ने अंतरराष्ट्रीय बास्केटबॉल महासंघ (फिबा) के अध्यक्ष होरासियो मुरातोरी को पत्र में लिखा, ‘‘सिख दुनिया भर में कई खेलों में हिस्सा लेते हैं और एक भी ऐसी घटना नहीं है जिसमें पगड़ी के कारण किसी को चोट लगी हो या नुकसान पहुंचा हो या पगड़ी ने खेल में रूकावट डाली हो.’’ सांसद जो क्राली और भारतीय मूल की एमी बेरा की अगुआई में कल भेजे गए इस पत्र में 40 से अधिक सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं. यह पत्र अंतरराष्ट्रीय महासंघ के संभावित फैसले से पहले लिखा गया है.
क्राली और एमी ने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘प्रत्येक दिन फिबा इस पर फैसले को अगले दिन के लिए टाल रहा है कि सिख नहीं खेल सकते.’’
क्राली और एमी ने कहा, ‘‘यह ऐसी नीति है जिसे घिसीपिटी, भेदभावपूर्ण और टीम खेल की भावना के पूरी तरह विपरीत करार दिया जा सकता है और इसमें बदलाव का समय काफी पहले आ चुका है. इसलिए हम कार्रवाई के लिए जोर दे रहे हैं जिसमें हमारा नवीनतम पत्र भी शामिल है और हम उन सभी को धन्यवाद देना चाहते हैं जिन्होंने अपनी आवाज उठाई. फिबा को हमारा संदेश साफ है, उन्हें खेलने दीजिए.’’
फिबा की यह भेदभावपूर्ण नीति 2014 में सामने आई थी जब दो सिख खिलाड़ियों को रैफरियों ने कहा था कि अगर उन्हें फिबा के एशिया कप में खेलना है तो उन्हें अपनी पगड़ी हटानी होगी.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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