अमेरिका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वागत-सत्कार की तैयारियों में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहता। मोदी की इस यात्रा से भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय रणनीतिक संबंधों को नए आयाम मिलने की उम्मीद है और आशा की जाती है कि इससे द्विपक्षीय व्यापारिक और आर्थिक संबंधों के नए रास्ते खुलेंगे।
ओबामा प्रशासन प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत में लाल कालीन बिछाने की तैयारी कर रहा है। प्रधानमंत्री 29 सितंबर को वाशिंगटन पहुंचेंगे। इससे पहले, वह न्यूयार्क में संयुक्तराष्ट्र के वार्षिक अधिवेशन में भाग लेंगे।
मोदी की यात्रा की तैयारियों से जुड़े सूत्रों ने बताया कि मोदी और ओबामा के बीच वाशिंगटन में दो दिन बातचीत होगी। इससे रक्षा और रणनीतिग गठबंधन, अंतरिक्ष विज्ञान और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के संबंध में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम मिलने की उम्मीद है।
सूत्रों ने कहा कि दोनों नेताओं के बातचीत से आर्थिक एवं व्यापारिक संबंधों में नयी संभावनाओं के द्वार भी खुलने की उम्मीद है।
ओबामा पहले 29 सितंबर को प्रधानमंत्री के साथ एक छोटे रात्रिभोज समारोह में मिलेंगे जहां कुछ काम की बात होगी। अमेरिकी राष्ट्रपति इस तरह का भोज किसी विदेशी नेता के लिए कभी कभार ही देते हैं। यह दोनों की पहली मुलाकात होगी। इसी मुलाकात में अगले दिन दोनों के बीच व्हाइट हाउस में होने वाली बैठक की पृष्ठभूमि तैयार होगी।
मोदी की जीत के बाद ओबामा ने उन्हें बधाई दी थी और वाशिंगटन आने का न्यौता दिया था। उसके बाद, दोनों के बीच फोन पर कोई बातचीत नहीं हुई, लेकिन दोनों के बीच पत्र का आदान प्रदान होता रहा है। ओबामा पिछले कुछ समय से सीरिया, इराक, ईरान, इस्रायल-फिलीस्तीन और यूक्रेन की घटनाओं में उलझे हुए हैं।
मोदी सरकार के प्रथम 100 दिनों में उठाए गए कदमों से ओबामा प्रशासन उत्साहित है। अमेरिका भारत को एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण एवं रणनीतिक भागीदार के रूप में देखता है और एक मजबूत तथा समृद्ध भारत को अपने हितों की दृष्टि से उपयुक्त पाता है।
समझा जाता है कि अमेरिका के कई सांसदों ने ओबामा से इस यात्रा के दौरान अमेरिकी संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करने के लिए मोदी को आमंत्रण भेजने का आग्रह किया था, लेकिन यह संभव नहीं हो सका क्योंकि यहां नवंबर में चुनाव होने हैं।
मोदी के न्यूयार्क और वाशिंगटन प्रवास के दौरान उनसे मुलाकात के लिए अमेरिकी व्यवसायिक समुदाय से भी कई अनुरोध प्राप्त हुए हैं और प्रधानमंत्री प्रमुख अमेरिकी उद्योगपतियों से मुलाकातें कर सकते हैं।
वर्ष 2005 में अमेरिका के विदेश विभाग ने 2002 के गुजरात दंगों के संदर्भ में मोदी का वीजा वापस ले लिया था। मोदी ने उसके बाद कभी अमेरिका वीजा के लिए आवेदन नहीं किया।
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